प्रमोशन में आरक्षण देने शिवराज सिंह सरकार ने नए नियम बनवा लिए

वैभव श्रीधर/भोपाल। पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे प्रकरण के बीच सरकार ने 15 साल पुराने पदोन्नति नियम की जगह नए नियम तैयार करवा लिए हैं। इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को पदोन्नति में दिया जा रहा आरक्षण बरकरार रखा गया है। नए नियम सुप्रीम कोर्ट के वकील की देखरेख में तैयार करवाए गए हैं। नियमों के प्रारूप को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने भी हरी झंडी दे दी है। अब सामान्य प्रशासन विभाग इसे कैबिनेट सब कमेटी के सामने रखेगा। 

सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश किए पूरे
मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने नए नियम तैयार किए जाने की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि पदोन्न्ति नियम 2017 सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश की स्टैंडिंग काउंसिल की देखरेख में तैयार हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में एम. नागराज के मामले में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर जो दिशा-निर्देश दिए थे, उन्हें भी इस प्रारूप में शामिल किया गया है।

इसके लिए आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था से 'मध्यप्रदेश की अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों का सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक पिछड़ापन, शासकीय सेवाओं में प्रतिनिधित्व और समग्र प्रशासनिक दक्षता' जैसे बिंदुओं पर सर्वे कराया गया। इसकी रिपोर्ट के आधार पर ये तय किया गया कि पदोन्नति में अनुसूचित जाति को 16 और अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना न्यायसंगत रहेगा।

आरक्षण बरकरार रखने ये बताए आधार
अनुसूचित जाति के 27 हजार 500 (21.35 प्रतिशत) और अनुसूचित जनजाति के 74 हजार 187 (46.08 प्रतिशत) पद रिक्त हैं।
योजना आयोग की गरीबी आंकलन रिपोर्ट 2011-12 के मुताबिक अनुसूचित जनजातियां और जातियां सामाजिक समूहों में ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाधिक गरीब हैं।
शैक्षणिक स्थिति कमजोर है। निरक्षरता में अजा 44 और अजजा 59 फीसदी हैं। सिर्फ 1.38 प्रतिशत अजा-अजजा स्नातक या उससे ऊपर की शिक्षा ग्रहण करने में सफल हुए।
स्कूल शिक्षा में 11 हजार 384, पुलिस में 9 हजार 651, उच्च शिक्षा में 2 हजार 238, पंचायत एवं ग्रामीण विकास में 1 हजार 291, राजस्व में 2 हजार 534, लोक निर्माण में 741, वित्त में 1 हजार 131, महिला एवं बाल विकास में 440 सहित अन्य विभागों में आरक्षित वर्ग के पद रिक्त हैं।
पदोन्नति के बाद प्रशासनिक दक्षता में कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा। न तो राजस्व कम हुआ और न ही सिंचाई, सड़क, बिजली सहित अन्य सेवाओं में गिरावट आई।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर दारोमदार
सूत्रों का कहना है कि पदोन्नति नियम का पूरा दारोमदार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिका है। प्रदेश सरकार हाईकोर्ट द्वारा पदोन्नति नियम 2002 को रद्द करने के फैसले के खिलाफ केस लड़ रही है। 10 अगस्त को इस मामले की सुनवाई प्रस्तावित है। उधर, सामान्य प्रशासन विभाग नए नियम के मसौदे को कैबिनेट सब कमेटी के सामने रखेगा। कमेटी अध्ययन करने के बाद इसे कैबिनेट भेजेगी।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !