
चीन आर्मी और भारतीय आर्मी की मिलिट्री पावर की बात की जाए तो चीन के पास 22.6 लाख सैनिक हैं, वहीं भारत के पास 13.6 सैनिक। इसी आधार पर चीन धमकी देता है कि वो भारत पर भारी पड़ेगा लेकिन रिजर्व सैनिकों की बात की जाए तो चीन के पास 14.52 लाख सैनिक हैं वहीं भारतीय आर्मी के पास चीन से दुगनी 28.44 लाख सैनिक। ग्लोबल फायरपावर वेबसाइट के मुताबिक भारत के पास कुल 42.07 लाख हथियारबंद सैन्य कर्मचारी हैं, वहीं चीन के पास कुल 37.12 लाख ही हैं।
टेंक और तोपखाने
अब टैंक्स की बात कर लेते हैं। इंडियन आर्मी के पास 4,426 युद्ध टैंक हैं वहीं चीन के पास 6,457। इस हिसाब से चीन, भारत से कहीं ज्यादा ताकतवर हो गया लेकिन हकीकत कुछ कुछ और ही बयां करती है। चीन के मुकाबले भारत के पास कई बड़े टैंक्स बॉर्डर पर तैनात हैं। यही नहीं, भारत के पास 6,704 बख़्तरबंद लड़ाड़ू वाहन हैं वहीं चीन के पास 4,788। ये ऐसे वाहन हैं जो चीन में घुसकर उनकी आर्मी को तबाह कर सकते हैं। तोपखानों में भी भारत चीन से बहुत आगे है। भारत के पास 7,414 तोपखाने हैं वहीं चीन के पास 6,246।
हवाई ताकत
चीन में 1,271 सैनिक या इंटरसेप्टर विमान हैं जबकि भारतीय सेना में 676 ऐसे विमान हैं। इसी तरह, चीन में 1,385 हमले वाले विमान हैं जबकि भारतीय वायु सेना के पास 809 लड़ाकू विमान हैं लेकिन, यहां एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि जिस क्षेत्र पर चीन को अपने विमान को सेवा में भेजना पड़ता है, वह भारत की तुलना में लगभग तीन गुना है। भारतीय वायु सेना में कम से कम मुख्य लड़ाकू विमान हैं, लेकिन इसकी सहायता प्रणाली चीनी से कहीं ज्यादा श्रेष्ठ है। आईएएफ में चीन की स्वामित्व वाली 782 की तुलना में 857 परिवहन विमान हैं। चीन के 507 के मुकाबले भारत में 346 उपयोगी हवाई अड्डे हैं। इस तरह चीन अपने आसमान की सुरक्षा करने में अभी भी नाकाफी है जबकि भारत अपने आसमान के चप्पे चप्पे की सुरक्षा करने में सक्षम है।
समुद्री ताकत
भारतीय नौसेना के तीन विमान वाहक हैं जबकि चीन में सिर्फ एक है। भारत की तुलना में चीनी नौसेना बल कागज पर बेहतर दिखता है। चीन में भारतीय नौसेना के 15 की तुलना में 68 पनडुब्बियां हैं। भारत में 14 फ्रैगेट हैं जबकि चीन में 51 है। इसी तरह, चीन में 35 डिसट्रॉयर्स हैं जबकि भारतीय नौसेना में 11 हैं। भारतीय नौसेना के छह की तुलना में चीन में 31 मेरा युद्धपोत हैं। चीन अपनी आपूर्ति बेस से अब तक भारतीय सेना के साथ जुड़ने का जोखिम नहीं उठा सकता है। इसकी पनडुब्बियां और डिसट्रॉयर्स आसानी से भारतीय महासागर में फंस सकते हैं जहां भारतीय नौसेना शक्तिशाली है।
भारत में 13,888 किलोमीटर की सीमा है, जबकि चीन की सीमा रेखा 22,457 किमी तक फैली हुई है। भारत बांग्लादेश, म्यांमार, भूटान और नेपाल की सीमाओं पर अनुकूल समीकरण नहीं है। लेकिन, चीन न केवल हिमालय में बल्कि दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन में भी सीमा पर संघर्ष कर रहा है। इसकी केंद्रीय एशियाई सीमा भी बीजिंग के लिए एक चिंता है।