
उक्त गणना पत्रक में विद्यमान वेतन के स्थान पर सेवा अवधि को गणना का आधार बनाया था जिससे वेतन नियम विरूद्व तरीके से कम हो रहा था साथ ही इसमें क्रमोन्नत और पदोन्नत अध्यापकों के वेतन का निर्धारण नहीं हो रहा था। क्रमोन्नत और पदोन्नत अध्यापकोें के लिये 22 अगस्त को जारी गणना पत्रक में फिर विसंगति व्याप्त है। इसमें वेतन निर्धारण के लिये जो टेबल जारी की है उसमें क्रमोन्नति और पदोन्नति वेतनमान में सेवा की अवधि को आधार माना है इससे अध्यापकों का वेतन कम हो रहा है यद्यपि टेबल 9 बनाई गईं हैं और इसे ऐसा माना जा रहा है कि सेवााकाल की गणना 2007 से होगी। लिखी हुई भाषा के अनुसार वरिष्ठत्म अध्यापक भी 5वे नम्बर की पंक्ति तक ही पहुंच रहे हैं।
इस जारी गणना पत्रक के अनुसार 1 जनवरी 2016 के पूर्व हुई क्रमोन्नति और पदोन्नति में षिक्षक संवर्ग के नियम, मूलभूत नियम और वित्त विभाग के आदेष लागू नहीं होगें ऐसी दषा में सिर्फ टेबल में वेतनमान उल्लेखित है वही दिया जायेगा। राज्य अध्यापक संघ के अनुसार शासन जानबूझकर उदाहरण प्रारूप जारी नहीं कर रही है और हर बार एक नई विसंगति को लेकर गणना पत्रक जारी किया जा रहा है संघ ने अब कोर्ट जाने का मन बना लिया है।