प्रमोशन नहीं दे सकते तो प्रभार ही दे दो: सपाक्स की शिवराज से मांग

भोपाल। प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के बाद शिवराज सिंह सरकार ने मध्यप्रदेश में कर्मचारियों के प्रमोशन रोक दिए हैं। 25 हजार से ज्यादा कर्मचारी प्रमोशन में इंतजार में ही रिटायर हो गए। शिवराज सरकार के खिलाफ पदोन्न्ति में आरक्षण मुद्दे पर कानूनी लड़ाई लड़ रही सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था (सपाक्स) ने अब वरिष्ठता को दरकिनार कर चालू प्रभार सौंपने का मुद्दा उठाया है। संस्था ने आरोप लगाया है कि खाली पदों पर सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के वरिष्ठ अधिकारियों की जगह अनुसूचित जाति-जनजाति के अधिकारियों को प्रभार सौंपे गए हैं।

संस्था ने अपनी इस मांग को लेकर सभी मंत्रियों को ज्ञापन सौंपे। साथ ही कहा है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण की सुनवाई जल्दी कराने के लिए अपील दायर करे। मिली जानकारी के अनुसार मंत्रियों ने सपाक्स की ओर से दिए पत्र को सामान्य प्रशासन विभाग भेज दिया है। इसमें पदोन्न्तियों पर रोक होने से खाली पदों का प्रभार देने में वरिष्ठता और तय प्रतिशत को दरकिनार करने का आरोप लगाया है।

संस्था अध्यक्ष डॉ. आनंद सिंह कुशवाह ने बताया कि कुछ विभागों में प्रभार 80 प्रतिशत तक अनुसूचित जाति-जनजाति के अधिकारियों को दिया है। इसमें प्रतिनिधित्व के हिसाब से व्यवस्था लागू होनी चाहिए।

उन्होंने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पदोन्न्ति में आरक्षण को लेकर जो सुनवाई चल रही है, उसमें अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग की बात रखने के लिए वकीलों के खर्च के लिए संस्था को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।

कमेटी में हो सभी वर्गों के प्रतिनिधि
सपाक्स ने पदोन्न्ति के नए नियम बनाने के लिए गठित समिति में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व नहीं होने का मुद्दा उठाया है। संस्था ने कमेटी में सामान्य से दो, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से एक-एक प्रतिनिधि रखने की मांग की है।

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