
इसके अलावा अदालत ने केंद्र व अन्य को इस मेमोरेंडम के आधार पर एससी/एसटी कैटिगरी के लोगों को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने पर भी रोक लगा दी है। अदालत ने हालांकि याचिकाकर्ता की वह मांग ठुकरा दी जिसमें उसने इस मेमोरेंडम के आधार पर हुए प्रमोशन को रद्द करने के साथ उन पदों पर जनरल कैटिगरी के लोगों को प्रमोशन का फायदा दिलाए जाने के लिए कहा था। बेंच ने कहा कि ऐसा आदेश जारी करना संभव नहीं है, क्योंकि प्रमोशन कई तथ्यों पर निर्भर करता है जिसमें वरिष्ठता, पात्रता शर्तें, पदों की उपलब्धता, कोटा आदि शामिल हैं। अदालत ने हालांकि यह राहत जरूर दी है कि संबंधित मेमोरेंडम के तहत अगर किसी एससी या एसटी कैटिगरी के प्रमोशन के लिए पोस्ट हो तो उस पोस्ट को जनरल कैटिगरी के लोगों के लिए भी ओपन रखा जाए।
मामले में अखिल भारतीय समानता मंच ने अन्य लोगों के साथ मिलकर डीओपीटी के 13 अगस्त 1997 के मेमोरेंडम को चुनौती दी थी। इसके तहत विभाग ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में एससी/एसटी के प्रमोशन में रिजर्वेशन के लाभ को 16 नवंबर 1992 से अगले पांच साल तक बरकरार रखा है और सभी मंत्रालय व अन्य पब्लिक सेक्टर और वैधानिक निकाय 1997 के बाद भी जारी रख सकते हैं।