अमित शाह ने राजनीति में परिवारवाद की परिभाषा बदल दी

भोपाल। नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद देश में काफी कुछ बदल रहा है। आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 'राजनीति मेें परिवारवाद' की परिभाषा भी बदल दी। अब तक कांग्रेसी नेताओं पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए भाजपा के नेता गांधी से लेकर गुप्ता तक उदाहरण गिनाते थे। बताते थे कि किस तरह कांग्रेस में नेता के बेटे को नेता बनाया जाता है और जमीनी कार्यकर्ता फर्श बिछाता रह जाता है लेकिन अब अमित शाह ने बताया कि 'किसी मंत्री की संतान लगातार काम करते-करते अगर विधायक बन जाए, तो इसे परिवारवाद नहीं कहते। जहां, पूरा का पूरा परिवार तंत्र बन जाए 'वह परिवारवाद है'। 

कुल मिलाकर राजनीति मेें परिवारवाद की परिभाषा बदल गई है। श्री शाह आज भोपाल में मीडिया से मुखाबित थे। इस दौरान कई बार उन्होंने मीडियाकर्मियों को भाजपा का कार्यकर्ता समझकर डपट भी लगाई। भाजपा में भी बढ़ते परिवारवाद संबंधित सवालों पर अमित शाह ने कहा कि किसी मंत्री की संतान लगातार काम करते-करते अगर विधायक बन जाए, तो इसे परिवारवाद नहीं कहते। जहां, पूरा का पूरा परिवार तंत्र बन जाए 'वह परिवारवाद है'। उन्होंने इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान और स्वयं का भी उदाहरण देते हुए कहा कि सभी के पिता का पार्टी से कोई लेना-देना नहीं था।

याद दिला दें कि मप्र में इन दिनों सीएम शिवराज सिंह और नंदकुमार सिंह चौहान समेत करीब दर्जन भर मंत्री और सैंकड़ों दिग्गज नेता अपने अपने बेटों को भाजपा में स्थापित कर रहे हैं। स्वभाविक है बॉलीवुड में स्टार किड्स की तरह भाजपा में भी लीडर किड्स को विशेष सुविधाएं मिल रहीं हैं और उनके रास्ते आसान बनाए जा रहे हैं। 

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