
गौरतलब है कि यह घोटाला 2007 से 2013 के बीच का बताया जा रहा है। इस दौरान सुशील कुमार मोदी बिहार के वित्त मंत्री थे। यही कारण है कि बिहार के मौजूदा उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सीबीआई के जांच घेरे में हैं। इस मामले में अब तक 14 एफआईआर दर्ज किए गए हैं और बिहार पुलिस की विशेष जांच टीम ने 18 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है।
इधर, विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल ने आरोप लगाया है कि इस बड़े घोटाले में साल 2005 से 2013 के बीच सरकारी अनुदान निजी खातों में स्थानांतरित किए गए और उस समय मौजूदा उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी वित्त मंत्री और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे। पिछले सप्ताह राजद ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने 17 अगस्त को इसकी अनुशंसा की थी।