देश के बड़े पद और ओछे बोल

राकेश दुबे@प्रतिदिन। निवृत उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी जाते-जाते जो बोल गये, उससे किसी दल की राजनीति तो चमक सकती है, पर देश के व्यापक हित में उनकी  टिप्पणी असामयिक मानी जा रही है | शिव सेना और भाजपा ही नहीं एक आम शहरी भी यह सवाल पूछने लगा है की ऊँचे पदों पर बैठे लोगों को क्या औछे बोल शोभा देते है ? राज्यसभा टेलीविज़न को दिए इंटरव्यू में निवृत होने की पूर्व संध्या पर उपराष्ट्रपति ने ऐसा ही कुछ कहा था। उनसे पूछा गया था कि क्या हाल में भीड़ की तरफ से पीट-पीटकर मारने की घटना और गौरक्षकों की तरफ से की जा रही हिंसा ने क्या देश के मुस्लिम समुदाय को भयभीत कर दिया है? 

इसके जवाब में अंसारी ने कहा, 'हां, यह बिल्कुल सही आंकलन है। देश के सभी जगहों से यह मैं सुनता आया हूं। मैने ये बातें बेंगलुरू में सुनी है, ये बातें देश के अन्य हिस्से में भी सुनी है। सबसे ज्यादा इस तरह की घटना उत्तरी भारत में सुनी है। उनमें एक तरह से असुरक्षा की भावना है और वे भयभीत हैं। उनकी  स्वीकार्यता का माहौल खतरे में है।'

गौर करने लायक बात अवसर और समय का है। उपराष्ट्रपति पद से विदा होते समय हामिद अंसारी की यह टिप्पणी ऐसे नाहक समय पर आयी है जब असहनशीलता और कथित गौरक्षकों की गुंडागर्दी की घटनाएं सामने आई हैं और कुछ भगवा नेताओं की ओर से अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बयान दिए गए हैं। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बयान पर शिवसेना ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि अगर हामिद अंसारी जीको मुस्लिमों में बेचैनी और असुरक्षा की भावना दिखती है तो इस विषय को लेकर उन्होंने पहले ही अपने पद से इस्तीफा क्यों नहीं दे दिया। अब जब वह जा रहे हैं, तब इस तरीके का बयान देरहे हैं। उनको पहले ही इस्तीफा देकर जनता के बीच मे जाना चाहिए था। 

संजय राउत ने कहा कि अल्पसंख्यक मुस्लिम के लिए देश मे बहुसंख्यक हिंदुओं को गलत नजरिए से देखा जाता है। देश की पूरी मशीनरी मुस्लिमों की सुरक्षा में लगा दी गई है।भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया में भारत के नागरिकों से ज़्यादा कोई सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा, 'यहां कोई कुछ भी कह सकता हैं, कोई भी पत्थरबाजों का समर्थन कर सकता हैं, कोई भी अलगाववादियों का समर्थन कर सकता हैं। यहां आधी रात को आतंकियों के लिए कोर्ट खुल सकते हैं, इसलिए भारत में हिंदू और मुसलमान सभी सुरक्षित हैं। भारत जैसा देश नहीं मिलेगा। भारत जैसा अभिव्यक्ति की आजादी वाला देश नहीं मिलेगा। भारत में जो चाहे किसी को गाली दे दे। लेकिन भारत में रहना है तो कानून एक ही होगा। यह देश संविधान से चलता है।

दोनों ही बातें समयोचित नहीं है। न तो, सेवा निवृत हुए उपराष्ट्रपति का इस समय ऐसा कहना और न ही ये उग्र प्रतिक्रियाएं। इन बातों से राजनीति चमक सकती है, पर देश का माहौल भी बिगड़ सकता है। देश जाति और मजहब, से ऊपर और सर्वप्रथम होना चाहिए, मात्र प्रचार के लिए ऐसी जुमले बाजी बंद होना चाहिए।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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