नई दिल्ली। भारत-चीन तनाव के बाद सारी दुनिया के रिश्ते बदलाव के मोड़ पर आ गए हैं। अमेरिका की गोद में पनपकर बड़ा हुआ पाकिस्तान अब अमेरिका का और ज्यादा फायदा नहीं उठा पाएगा क्योंकि अमेरिका अब समझ गया है कि पाकिस्तान अब तक उसकी आंख में धूल झोंकता आया है। अत: ट्रंप ने तय किया है कि पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद बंद कर दी जाए। इससे पहले पाकिस्तान को आतंवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अमेरिका से मिलने फंड पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी है।
अमेरिका की फॉरेन पॉलिसी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान को लेकर अमेरिका की जो अगली स्ट्रैटजी है उससे अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में बड़ा बदलाव आने वाला है। रिपोर्ट में व्हाइट हाउस के एक अफसर ने बताया, "प्रेसिडेंट (ट्रम्प) का कहना है कि पाकिस्तान हमें ठग रहा है। ऐसे में वे पाकिस्तान को दी जा रही हर तरह की सैन्य मदद बंद करना चाहते हैं। यह स्ट्रैटजी का हिस्सा है।" हालांकि, इस अफसर का नाम उजागर नहीं किया गया है। अफसर ने आगे कहा कि डिफेंस डिपार्टमेंट का मानना है कि पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में दिक्कतें हैं।
तालिबान को PAK दे रहा पनाह, सेना-ISI कर रही मदद
ट्रम्प ने अफगानिस्तान पर स्ट्रैटजी को लेकर कैम्प डैविड में नेशनल सिक्युरिटी से जुड़े अपने मददगारों के साथ तमाम ऑप्शंस पर विचार किया। हालांकि, वे तय नहीं कर पाए कि अमेरिका की ओर से लड़ी जा रही इस सबसे लंबी जंग पर और सैनिक भेजेंगे या नहीं। ज्यादा सैनिकों को भेजने से अमेरिका के पाकिस्तान से रिश्तों पर काफी असर होगा। इस मीटिंग के दौरान पाकिस्तान के अफगान तालिबान की पनाहगार बनने और आतंकियों को पकड़ने में नाकाम रहने पर भी चर्चा हुई। हालांकि, उस पर सख्ती बरतने को लेकर अलग-अलग राय थीं। अमेरिका के अफसरों का कहना था कि तालिबान को पाकिस्तान की मिलिट्री और आईएसआई की मदद मिलती है।
पेंटागन पहले ही रोक चुका फंड
अमेरिका का डिफेंस हेडऑफिस पेंटागन आतंकवाद से लड़ने के लिए पाकिस्तान को दिए जाने वाले फंड पर पहले ही रोक लगा चुका है। अमेरिकी रक्षा मंत्री जैम्स मैटिस का दावा है कि उन्हें इस बात के सबूत नहीं मिले कि पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ सख्त कार्रवाई की हो।