अपर सचिव मप्र शासन की लिव इन पार्टनर को नहीं मिलेगा गुजारा भत्ता

भोपाल। पहले पति से तलाक लिए बगैर मप्र शासन के आवास एवं पर्यावरण विभाग के अपर सचिव अशोक कुमार मालवीय के साथ लिव इन में रहने वाली महिला की भरण पोषण राशि दिलाए जाने की याचिका को जिला अदालत ने सुनवाई के बाद निरस्त कर दिया। यह फैसला अपर जिला जज भूपेंद्र कुमार सिंह ने सुनाया है। अदालत में अपर सचिव की ओर से एडवोकेट अखिलेश श्रीवास्तव ने पैरवी की। इससे पहले निचली अदालत ने भरण पोषण के लिए 5000 रुपए तय किए थे परंतु दोनों पक्षों ने फैसले के खिलाफ अपील की। महिला चाहती थी कि भरण पोषण राशि 25000 की जाए जबकि अपर सचिव कुछ भी देने को तैयार नहीं थे। 

मामले के अनुसार अपर सचिव पहले से ही विवाहित हैं और उनकी लिव इन पार्टनर भी पहले पति से तलाक लिए बगैर उनके साथ रहती थी। दोनों के बीच विवाद उत्पन्न होने पर महिला ने निचली अदालत में घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत लिव इन पार्टनर से भरण पोषण राशि दिलाए जाने की याचिका दायर की थी। निचली अदालत ने याचिका मंजूर कर अंतरिम आदेश में पांच हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाने के आदेश दिए थे।

निचली अदालत के आदेश के खिलाफ महिला ने राशि को बढ़ा कर पच्चीस हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाने जबकि अपर सचिव ने याचिका को निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए अपर जिला अदालत में अपील दायर की थी। ADJ ने दोनों के पहले से ही विवाहित होने और पूर्व पति-पत्नी से तलाक नहीं होने की वजह से लिव इन में रहने वाली पार्टनर की भरण पोषण राशि दिलाए जाने की याचिका को निरस्त कर दिया। जज ने अपने आदेश में उल्लेखित किया है कि भले ही यह दोनों साथ में रहने के दस्तावेज पेश कर रहे हों परंतु सारहीन होने से अपील निरस्त की जाती है।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!