नई दिल्ली। पिछले साल हुई नोटबंदी से देश के आर्थिक विकास में जरूर सहयोग मिला, लेकिन 1000 और 500 रुपये के नोट बंद होने से कुछ लोगों की पूरी जिंदगी ही बदल गई। ऐसी ही एक महिला थीं, केरल के वारापुझा में रहने वालीं सथी बाई। सथी बाई का गुरुवार को निधन हो गया। 4 लाख रुपये नगद होने के बावजूद सथी बाई अपना इलाज अच्छे अस्पताल में नहीं कर पाईं, क्योंकि उसके पास जो नोट थे उनकी अब कोई कीमत नहीं थी। दरअसल, केरल की सथी बाई करीब 20 साल पहले वेटनरी डिपार्टमेंट से रिटायर हुई थी। रिटायरमेंट के बाद वह ज्यादा किसी से मिलती-जुलती नहीं थी। वह महीने दो महीने में घर से बाहर कुछ सामना लेने निकलती थीं। घर में टीवी और रेडियो भी नहीं था, इसलिए सथी बाई को पता ही नहीं चला कि सरकार ने 1000 और 500 रुपये के पुराने नोट बंद कर दिए हैं।
सथी बाई एक दिन जब किराने की दुकान पर कोई सामान लेने गईं और 1000 रुपये का नोट दिया, तब उन्हें दुकानदार ने बताया कि ये नोट बंद हो गए हैं। ये सुनकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। दरअसल, सथी बाई के पास 1000 और 500 रुपये के 4 लाख रुपये रखे हुए थे। गांव की पंचायत के मेंबर्स ने सथी बाई के पुराने नोट बदलाने की काफी कोशिश की थी, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी।
पंचायत वार्ड मेंबर पोली टीपी ने बताया कि हमने सथी बाई के नोट बदलवाने के लिए एक एक्शन कमेटी बनाई थी और सभी जरूरी दस्तावेज जमा किए। हम उन्हें लेकर चेन्नई भी गए। लेकिन वहां हमें बताया गया कि नोटों को बदलने की समय सीमा खत्म हो गई है और उसके लिए हमें मंत्रालय से इजाजत लेनी होगी। इसके बाद हमने मंत्रालय से भी संपर्क किया और इस मामले को लेकर एक याचिका भी दी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
टीपी ने बताया कि सथी बाई दिल और किडनी की बीमारी से जूझ रही थी और कुछ ही हफ्ते पहले उसे केयर होम में शिफ्ट किया गया था, क्योंकि वह काफी कमजोर हो गई थी। बाद में उन्हें इलाज के लिए एर्नाकुलम जनरल हॉस्पिटल में ले जाया गया, जहां गुरुवार को उनकी मौत हो गई।