नई दिल्ली। कर्मचारी के एक मामले में हाईकोर्ट राजस्थान ने 2 आईएएस अफसरों को दोषी मानते हुए उनसे व्यक्तिगत रूप से वसूली के आदेश जारी किए हैं। यह शायद पहली बार है जब कर्मचारी की सेवाओं से संबंधित किसी मामले में कोर्ट ने आईएएस अफसरों को दोषी माना और वसूली के आदेश दिए जबकि अफसर रिटायर हो चुके हैं। इस मामले का फैसला आने में 16 साल का लंबा वक्त लगा। इस बीच 11 साल पहले कर्मचारी की मौत हो गई।
राजस्थान स्टेट हैंडलूम डवलपमेंट कॉरपोरेशन में जूनियर अस्सिटेंट के पद पर काम करने वाले शशिमोहन माथुर को अपनी मौत के 11 साल बाद हाईकोर्ट से न्याय मिला है। मामले में संभवतः पहली बार कोर्ट ने किसी आईएएस अधिकारी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी तय की है।
मामले में जस्टिस एसपी शर्मा ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता को उनकी नियुक्ति के पहले दिन से सभी परिलाभ दिए जाएं। वहीं यह पूरी राशि सेवानिवृत आईएएस अधिकारी दामोदर शर्मा और उमराव सालोदिया की पेंशन व पीडीआर अकाउंट से वसूलने के निर्देश दिए हैं।
पूरे मामले में हाईकोर्ट ने कई गंभीर टिप्पणियां की हैं। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि इन दो आईएएस अधिकारियों ने अगर नियमों के तहत काम किया होता तो आज यह मामला अदालत में नहीं पहुंचता।