
इसके बाद धेमाजी में 1.51 लाख लोग इस आपदा से प्रभावित हैं। एएसडीएमए ने बताया कि मौजूदा समय में 1,752 गांव जलमग्न हैं और एक लाख से हेक्टेयर से अधिक की फसल भूमि प्रभावित हो चुकी है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, त्रिपुरा के तीन जिलों में लगातार हुई बारिश के बाद अचानक बाढ़ आ गई जिससे यहां के 4,500 परिवार बेघर हो गए हैं। राज्य के राजस्व मंत्री बादल चौधरी ने बताया कि दो हजार से ज़्यादा परिवारों को विभिन्न सरकारी इमारतों में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा, क्योंकि राज्य की राजधानी का बड़ा हिस्सा और निचले बाहरी इलाके जलमग्न हैं।

पश्चिम बंगाल सरकार ने 12 अगस्त को कहा कि वह राज्य के उत्तरी क्षेत्र में आई बाढ़ से युद्धस्तर पर निपट रही है, जहां पांच जिले प्रभावित हुए हैं और तकरीबन 100 चाय बागान जलमग्न हो गए हैं। राज्य के सिंचाई मंत्री राजीव बनर्जी ने कहा, ‘हमने पहले ही नियंत्रण कक्ष खोल दिए हैं और मैं निजी तौर पर निगरानी और प्रबंधन में शामिल हूं। राज्य भारी बारिश का सामना कर रहा है और क्षेत्र में आई बाढ़ से निपटने के लिए युद्धस्तर पर काम हो रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्थिति की निगरानी कर रही हैं। साथ ही राहत सामग्री भेजने समेत सभी ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं। ज्ञात हो कि राज्य में बाढ़ से प्रभावित पांच जिलों में कूचबिहार, उत्तरी दिनाजपुर, अलीपुरदुआर, जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग शामिल हैं।
त्रिपुरा में बाढ़ की स्थिति पर केंद्र की नज़र
असम और पश्चिम बंगाल के अलावा त्रिपुरा के बाढ़ प्रभावित इलाकों में चल रहे राहत एवं बचाव कार्यों पर केंद्र सरकार की पूरी नज़र है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने समाचार एजेंसी भाषा से बात करते हुए जानकारी दी कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में राज्य सरकार को राहत एवं बचाव कार्य में मदद के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के जवानों को रवाना कर दिया गया है।
रिजिजू ने बताया कि राज्य में बाढ़ की स्थिति पर केंद्र सरकार पूरी नज़र रखे हुये है और एनडीआरएफ के दलों के साथ लगातार संपर्क में है. उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ का एक दल अगरतला से बाढ़ प्रभावित गांव आश्रम चमानी कॉलोनी के लिये रवाना कर दिया गया है. पश्चिमी त्रिपुरा जिले के इस गांव में होआरा नदी के जलस्तर में इजाफे के बाद राहत एवं बचाव दल को भेजा गया है।
