
सुप्रीम कोर्ट ने सारी याचिकाओं का निपटारा किया और कहा कि जब नए नियम बनेंगे तो कोई भी कोर्ट में चुनौती दे सकता है। केंद्र सरकार द्वारा पशुओं को वध के लिए बेचने ओर खरीदने को लेकर जारी अधिसूचना के विरोध में दायर याचिका अपना पक्ष रखा गया।
केरल समेत कई राज्यों में विरोध
केंद्र सरकार के इस नोटिफिकेशन का केरल समेत देश के कई राज्यों में विरोध किया गया है। केरल में तो विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में हिस्सा लेने से पहले विधायकों ने नाश्ते में गोमांस का सेवन कर विरोध जताया था।
केंद्र को भेजा था नोटिस
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पशु बाजार में वध के लिए मवेशियों को खरीदने और बचने पर रोक लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था। हैदराबाद निवासी याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी और कहा था कि केंद्र का नोटिफिकेशन ‘भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक’ है क्योंकि यह मवेशी व्यापारियों के अधिकारों का हनन करता है।
याचिकाकर्ता मोहम्मद फहीम कुरैशी ने पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 को भी चुनौती दी है। पेशे से वकील फहीम कुरैशी ने दलील दी है कि पशु क्रूरता रोकथाम (मवेशी बाजार विनियमन) कानून, 2017 तथा पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 मनमाना, अवैध तथा असंवैधानिक है।
याचिकाकर्ता ने 23 मई को जारी दोनों अधिसूचनाओं के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है। फहीम कुरैशी ने उस नियम पर सवाल उठाया है, जिसमें कम उम्र के मवेशियों को तब तक बाजार में नहीं बेचा जा सकता, जबतक कि खरीदार एक हलफनामा भरे, जिसमें वह बताए कि वह एक किसान है, मवेशी का केवल कृषि उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होगा और उसे छह महीनों तक नहीं बेचा जाएगा।