
वर्कशाप में ई-फाइलिंग सिस्टम का मजाक बना हुआ था। स्पेयर पार्ट्स की थोक खरीदी की बजाय रोजाना 25-25 हजार की कई फाइलें बना कर पार्ट्स खरीदे जा रहे थे। जिस दिन फाइल बनी उसी दिन कोटेशन आ गए, सप्लाई हो गई और पेमेंट भी हो गया। अस्थायी (25 दिवसीय) कर्मचारी मीना के पास टेंडर जैसा महत्वपूर्ण काम था। वर्कशाप के किसी भी मैकेनिक ने आईटीआई या किसी अन्य संस्था से वोकेशनल या स्किल ट्रेनिंग कोर्स नहीं किया है।
घोटाले की धुरी : हेड मैकेनिक सस्पेंड
वर्कशॉप में करीब 20 साल से कार्यरत हेड मेकेनिक शमीम अहमद खान को यहां चल रहे घोटाले की धुरी बताया जाता है। शमीम की पसंद के सप्लायर ही यहां पार्ट्स सप्लाई करते रहे हैं। इनमें से कुछ के पास कोई दुकान भी नहीं है। इन सभी फर्म को ब्लैक लिस्ट किया जा रहा है। गड़बड़ी सामने आने के बाद शमीम को निलंबित कर दिया है।
परमार को हटाया, डिप्टी कमिश्नर राजपूत को प्रभार
ट्रांसपोर्ट अधिकारी राजेंद्र परमार को हटा कर उनकी विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। अपर आयुक्त प्रदीप जैन को जांच अधिकारी बनाया गया है। उपायुक्त राहुल सिंह राजपूत को ट्रांसपोर्ट का प्रभार सौंपा गया है।
पुराना सामान नहीं मिला, कोई रिकाॅर्ड नहीं
निगमायुक्त ने जब खरीदे सामान के हिसाब से वाहनों से निकाला पुराना सामान मांगा तो नहीं मिला। किस गाड़ी में क्या काम हुआ, इसका भी कोई रिकाॅर्ड नहीं था।
क्लर्क-कंप्यूटर ऑपरेटर को नौकरी से हटाया
निगमायुक्त ने क्लर्क मीना व कंप्यूटर ऑपरेटर सोहेल को नौकरी से निकाल दिया। दोनों करीब सात साल से यहां कार्यरत थे। इंजीनियरिंग की डिग्री के बावजूद मीना यहां अस्थाई क्लर्क था।