रेलवे: सुर्खियाँ ही न बटोरें, कुछ ये भी करें, प्रभु जी !

राकेश दुबे@प्रतिदिन। रेल मंत्री कुछ घोषणा करके सुर्खियाँ बटोरने का मन बना चुके हैं, लेकिन सुर्खियां बटोरने भर से समग्र रेल सेवाओं में सुधार की असली जरूरत नहीं पूरी हो पाएगी। हाई स्पीड ट्रेन चलाने से ज्यादा जरूरी है, मौजूदा यात्रा सेवाओं को बेहतर और कारगर बनाना। अभी रेलवे मौजूदा सेवाओं को बेहतर करने की जरूरत को नजरअंदाज कर रहा है। भारतीय रेलवे के साथ  गड़बड़ क्या हो रहा है? पहले हमें हाई स्पीड रेल परियोजनाओं के लिए सुझाए गए किराये ढांचे पर एक नजर डालनी होगी। रेलवे बोर्ड को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक हाई स्पीड ट्रेन परियोजना के तहत चलने वाली ट्रेनों का किराया 4.5 रुपये प्रति किलोमीटर रखने का प्रस्ताव है। यह किराया हवाई यात्रा के प्रति किलोमीटर सफर की औसत लागत से थोड़ा ही कम है। 

भारत में विमानन कंपनियां अधिकांश मार्गों पर औसतन 5 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से किराया वसूलती हैं। हवाई यात्रा में लगने वाले कम समय, रेलवे स्टेशनों से तुलना में हवाईअड्डे का बेहतर अनुभव और ट्रेन से सफर करने के बजाय उड़ान भरने से सामाजिक ढांचे में ऊपर जाने का आकर्षण निश्चित तौर पर लोगों को हाई स्पीड ट्रेनों की तुलना में हवाई सफर को ही प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करेगा। सरकार पहले से ही तेजी से उभरते मध्य वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा कर नया बाजार तैयार करने के इरादे से 'उड़ान' योजना शुरू कर चुकी है जिससे  छोटे शहर भी विमानन नेटवर्क से जुड़ जायेंगे। 

एक अनुमान के मुताबिक कुल यात्रियों में 28 प्रतिशत संख्या महानगरों के भीतर सफर करने वाले लोगों की है लेकिन उपनगरीय रेल नेटवर्क से केवल 14 प्रतिशत राजस्व ही मिलता है। कारण है उपनगरीय रेल सेवाओं के किराये पर भारी सब्सिडी। जिसका बोझ आखिरकार रेलवे को ही उठाना पड़ता है। ऐसे में पहली प्राथमिकता उपनगरीय रेल सेवाओं के किराये को तर्कसंगत बनाने की होनी चाहिए ताकि रेलवे की गुणवत्ता सुधारने के साथ ही उसकी आर्थिक सेहत सुधारने में भी मदद मिले। दूसरी प्राथमिकता रेलवे की तरफ से विभिन्न तरह के यात्रियों को किराये में दी जाने वाली प्रत्यक्ष एवं परोक्ष सब्सिडी की समीक्षा करने को दी जानी चाहिए। रेलवे के मौजूदा एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों को मिलने वाली तमाम रियायतों के साथ संसद सदस्यों को किराये में मिलने वाली रियायतों की भी समीक्षा की जानी चाहिए।

रेलवे स्टेशनों पर बेहतर सुविधाएं, ट्रेनों की तेज रफ्तार, समय पर गंतव्य स्थल तक पहुंचना और ट्रेनों में सफाई जैसे पहलुओं को बेहतर किया जा सकता है। रेलवे को पहले अपनी सेवाओं में सुधार करने के बारे में सोचना चाहिए और फिर किराया बढ़ाना चाहिए। इससे यात्री किराये पर दी जाने वाली सब्सिडी की भरपाई के लिए मालभाड़े की दरें ऊंचा रखने की पुरानी समस्या का भी समाधान निकाला जा सकता है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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