डीजल, प्याज, कलेक्टर और शिवराज

राकेश दुबे@प्रतिदिन। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह परेशान हैं, वे अपने को असहज महसूस कर रहे हैं। नौकरशाही पर उनका जो आभासी अंकुश था उसकी हकीकत सामने आई और प्रदेश की वर्तमान दशा से लाल-पीले होते शिवराज का गुस्सा आखिर फूट पड़ा। भाजपा की प्रांतीय कार्यसमिति में किसानों से जुडी मूल समस्या “नामान्तरण और सीमांकन” के बहाने उन्होंने नौकरशाहों को अल्टीमेटम दे दिया। शिवराज सिंह ने कहा कि यदि एक माह बाद ऐसे मामले मिले तो वे “कलेक्टर को उल्टा लटका देंगे, और वे कलेक्टर कलेक्टरी करने लायक नही रहेंगे”। आखिर मुख्यमंत्री का नजला राजस्व विभाग पर क्यों उतरा ? 

प्रदेश के राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता तो वैसे ही “सर्वदा नाराज़” की उपाधि प्राप्त है। यह अलग बात है आजकल उनके शिकंजे में भोपाल के सरकारी अस्पताल और डाक्टर हैं। शिवराज सिंह ने कहीं पे निगाहें कहीं पर निशाना की तर्ज पर ये तीर छोड़ा है। लग जाये तो तीर नही तो तुक्का, कहावत की तर्ज पर कोई भी इसे तीर नहीं मान रहा है। चलिये आप भी तुक्का मान लें।

प्रदेश में जून जुलाई के महीने में किसानों की आत्म हत्या का आंकड़ा अर्धशतक को छू गया है। किसानी का मौसम है, प्रदेश का रोता-धोता किसान खेत में उतरा है, डीजल उसकी सबसे बड़ी समस्या है। मध्यप्रदेश में डीजल देश में सबसे महंगा है। छोटे किसान पास पडौस के बड़े किसान से ट्रेक्टर तो चलवा लेते हैं, पर डीजल ? सरकार दर तय करती है, और इस मामले में किसी की कोई बात सुनना उसे गंवारा नहीं है। वैसे तो प्रदेश कार्य समिति हर राजनीतिक दल की महत्वपूर्ण होती है। सत्तारूढ़ दल की हो तो जनता को यह आस बंधती है, उसकी बात सही फोरम पर उठ रही है। 

मध्यप्रदेश में अपने को कृषक हितैषी कहने वाली भारतीय जनता पार्टी डीजल पर बात करने को तैयार नहीं है। भारतीय जनता पार्टी की कार्य समिति मे इस मुद्दे को उठाने नही दिया गया।   प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान कभी डीजल की लाईन में नही लगे, उन्होंने इस मुद्दे को उठाने वाले रमेश पटेल को डपट कर बिठा दिया। हकीकत गाँव में दिखती है, महंगे डीजल के कारण ट्रेक्टर नही मिलता और पशुधन के अभाव में किसान बैल की तरह जुते दिख रहे हैं।

अब प्याज़ की बात। सरकार ने मंदसौर गोली कांड के बाद प्याज़ खरीदने में दरिया दिली  दिखाई। प्रदेश के किसानों की जगह अडौस-पडौस के प्रदेशों के राज्यों की प्याज भी अफसरों ने तुलवा ली। सब प्याज एक भाव। अब हर जिले में प्याज रख रखाव के अभाव में सड़ रही है।  सड़ी प्याज से सरकार बिजली बनाने का चमत्कार करने जा रही है। प्याज का गोरख धंधा  बदस्तूर जारी है। 8 रूपये किलो खरीदी प्याज को सरकारी कारिंदे रिश्वत लेकर 1-2 रूपये किलो बेचकर रिश्वत की मोटी रकम बना रहे हैं।

इन सब के लिए सरकार कलेक्टर को जिम्मेदार मानती है। इन मुद्दों के साथ और मुद्दे जोड़कर शिवराज सिंह कलेक्टर को उल्टा लटकाने का अल्टीमेटम देते है। हाल ही में सेवा निवृत हुए कई जिलों में कलेक्टर रहे एक बड़े अधिकारी की टिप्पणी गौर तलब है। जब उनसे पूछा गया कि- क्या कलेक्टरों पर इससे अंकुश लगेगा ? उनका जवाब था, कलेक्टर को उल्टा लटकाना तो दिवा स्वप्न है, हाँ कलेक्टर चाहे तो सरकार को शीर्षासन करा सकता है। ख़ैर ! घबराने की कोई बात नहीं शिवराज सिंह शीर्षासन में भी माहिर हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !