कुमार विश्वास: दिवंगत महाकवियों को श्रद्धांजलि के नाम पर मोटी कमाई का आयोजन

आम आदमी पार्टी के विवादित नेता और मंच पर मसखरी करने वाले कवि डॉ कुमार विश्वास शायद अजीब किस्म की मानसिक बीमारी से पीड़ित हो गए हैं। उन्होंने बिना अनुमति के डॉ. हरिवंश राय बच्चन की कविता पढ़ी और जब अमिताभ बच्चन ने इस पर आपत्ति जताई तो उन्होंने महानायक की हंसी भी उड़ाई। बच्चन ने डॉ कुमार विश्वास को लीगल नोटिस भेजा था, जिसका जवाब उन्होंने मीडिया के सामने आकर दिया। इस दौरान उन्होंने खुद को महान और बच्चन को नीचा दिखाने की कोशिश भी की। 

डॉ.कुमार विश्वास ने बिना पर्याप्त अनुमति लिए पुराने हिन्दी कवियों को श्रद्धांजलि की श्रृंखला, 'तर्पण' पिछले सप्ताह शुरू की थी। कुमार इस श्रृंखला से मोटी कमाई के मूड में थे। इसका प्रमोशन उन्होंने अपने ऑफिसियल फेसबुक, ट्वीटर इत्यादि पर भी किया था। इस श्रृंखला में विश्वास लगभग 15 दिवंगत कवियों की कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति करते हैं। 

इन कवियों में बाबा नागार्जुन, दिनकर, निराला, बच्चन, महादेवी, दुष्यंत, भवानी प्रसाद मिश्र के साथ अन्य कवियों की कविताएं शामिल है। गत शनिवार को कुमार ने इस श्रृंखला के चौथे वीडियो के रूप में 'नीड़ का निर्माण फिर-फिर' नाम से स्व हरिवंश राय बच्चन जी की एक कविता का वीडियो पोस्ट किया। चूंकि यह वीडियो मोनेटाइज्ड था, अत: पैसा कमाने के लिए डाला गया था अत: अमिताभ बच्चन ने इसे कॉपीराइट का हनन बताया और लीगल प्रक्रिया की चेतावनी दी। इसके बाद डॉ. कुमार विश्वास की ईमेल आईडी पर एक नोटिस भेजा गया। इसमें बच्चन की तरफ से 24 घण्टे के अंदर यह वीडियो डिलीट करने और इस वीडियो से हुई कमाई का हिसाब देने की मांग की गई। 

इसके जवाब में डॉ कुमार विश्वास ने बच्चन का मजाक उड़ाते हुए ट्वीट के जरिये जवाब दिया कि अन्य कवियों के परिवारों से मुझे (तर्पण के लिए) प्रशंसा मिली जबकि आपकी तरफ से नोटिस मिला। मैं 'बाबूजी' के ट्रिब्यूट वीडियो को डिलीट कर रहा हूं। इससे 32 रुपये की कमाई हुई है। वो मैं आपको भेज रहा हूँ।

इसके अलावा कुमार ने फेसबुक लाइव के माध्यम से अपने श्रोताओं और प्रशंसकों से बातचीत करते हुए कहा कि 'तर्पण' श्रृंखला के लिए मुझे भवानी दादा, बाबा नागार्जुन, दिनकर जी और दुष्यंत जी आदि के परिवारों से प्रशंसा और आशीर्वाद मिला है। लेकिन यदि अमिताभ बच्चन जी ने इसे कॉपीराइट का हनन बताया है तो मैं उनके आदेश के अनुसार यह वीडियो डिलीट कर रहा हूँ। इससे यूट्यूब के माध्यम से मिले 32 रुपए भी मैं उन्हें भेज रहा हूँ। 

विश्वास ने कहा कि मैंने यह श्रृंखला उन दिवंगत महाकवियों को श्रद्धांजलि देने के लिए शुरू की थी जिन्हें हम बचपन से ही सुनते आए हैं लेकिन यदि अमिताभ बच्चन नहीं चाहते कि हरिवंश राय बच्चन जी की कविताएं इसमें शामिल की जाएं तो मैं उनकी बात मानते हुए हरिवंश जी की बाकी कविताएं भी जनता तक नहीं पहुंचाऊंगा। हालांकि मैंने हरिवंश जी के दूसरे पुत्र श्री अजिताभ बच्चन जी से इस संदर्भ में बात की थी और इसी वीडियो पर उन्होंने मुझे बधाई का संदेश भी भेजा था। यह उनका कानूनी अधिकार है, इसलिए मैं यह वीडियो वापस ले रहा हूँ।

कुल मिलाकर कुमार विश्वास ने प्रति​क्रिया स्वरूप जो कुछ किया वो ना तो एक पेशेवर तरीका था, ना व्यवहारिक और ना ही कानून सम्मत। किसी कवि या साहित्यकार की रचना को उसकी पर्याप्त अनुमति प्राप्त किए लाभ कमाने के लिए उपयोग करना गंभीर आर्थिक अपराध है। विश्वास ने यह अपराध किया और उन्हे क्षमाप्रार्थी होना चाहिए। प्रोफेशनल तरीका यह होता कि जिस मेल से नोटिस आया था, उसी मेल पर सॉरी रिप्लाई करते और वीडियो डीलिट कर देते। इस तरह मीडिया में हंगामा करने की जरूरत नहीं थी। कुमार विश्वास की श्रृंखला दिवंगत महाकवियों को श्रद्धांजलि देने के लिए नहीं बल्कि उनकी लोकप्रियता रचनाओं से पैसा कमाने के लिए है। यदि वो दिवंगत महाकवियों को श्रद्धांजलि देना चाहते थे तो अपने वीडियो को मोनेटाइज्ड नहीं करना चाहिए था। ज्यादातर लोग नहीं जानते कि यूट्यूब वीडियो से मोटी कमाई भी होती है ओर यह एक दिन नहीं बल्कि जीवनभर होती रहती है। 'तर्पण' के माध्यम से कुमार विश्वास को तब तक कमाई होती रहेगी जब तक कि वो सारे वीडियो यूट्यूब पर दिखाई देते रहेंगे और लोग उन्हे देखते रहेंगे। 

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