2018 चुनाव: वास्तुदोष तो दूर हो जाएगा, दिग्विजय सिंह की साढ़े साती से कैसे बचेगी कांग्रेस

भोपाल। 2003 में बेआबरू होकर सत्ता से खदेड़ दी गई कांग्रेस को उम्मीद थी कि 2008 में वो फिर लौट आएगी। 2013 में तो उसे पूरा यकीन था कि वो सत्ता में आ रहे हैं। शायद इसीलिए चुनाव प्रचार की शुरूआत में ही गुटबाजी हो गई लेकिन लगातार हार पर हार के बाद अब ढीकरा नेताओं के सिर फोड़ने के बजाए तांत्रिक दोष पर मढ़ दिया गया है। कांग्रेस अब अपने आॅफिस में वास्तुदोष ठीक करवा रही है। कांग्रेस का मानना है कि इसी के कारण वो एक के बाद एक पराजय मिल रहीं हैं। 

सूत्र बता रहे हैं कि वास्तु विशेषज्ञों की सलाह पर पीसीसी में तीसरी मंज़िल पर काम जारी है जहां पदाधिकारियों के कमरों के साथ बने टॉयलेटों का दरवाज़ा पूर्व दिशा की तरफ है। अब सभी टॉयलेटों को कमरों से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक इसके अलावा भी वास्तुदोष दूर करने के लिए जो ज़रूरी उपाय होंगे वे अपनाए जाएंगे।

प्रदेश कांग्रेस के महासचिव चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी भले ही इस प्रक्रिया को सामान्य बता रहे हों परंतु मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा कहते हैं, ‘मैं उन नेताओं में से नहीं हूं जो इसे (वास्तुदोष दूर कराने की प्रक्रिया को) ग़लत बताते हैं। इसमें ग़लत क्या है? हम धर्म में विश्वास करते हैं और चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए हमें जनता के समर्थन के साथ भगवान के आशीर्वाद की भी ज़रूरत है।’ 

भाजपा ने 2003 से पहले कराया था तंत्र मंत्र 
2003 में भारतीय जनता पार्टी भी ऐसा ही कर चुकी है। उस वक़्त भाजपा प्रदेश में लगातार दो विधानसभा चुनाव (1993 और 1998 के) हार चुकी थी। 1998 में तो भाजपा को भी पूरा भरोसा था कि वो सत्ता में पहुंच चुके हैं लेकिन गुटबाजी के कारण हार गए। 2003 में पार्टी ने उमा भारती को चैहरा बनाया और अनिल माधव दवे रणनीतिकार बने। उस वक़्त विशेषज्ञों ने बताया कि प्रदेश कार्यालय में वास्तुदोष है। तब पोर्च से सीधे अंदर घुसते ही बाईं तरफ टॉयलेट हुआ करता था। बाहर मुख्य दरवाज़ा भी उत्तर-पश्चिम में था। ऐसी ही कुछ और चीजें भी थीं जिन्हें दवे की निगरानी में दुरुस्त कराया गया। जैसे- टॉयलेट हटवाया गया। मुख्य दरवाजे को उत्तर-पूर्व में लाया गया। इमारत के भीतर भी कुछ ज़रूरी परिवर्तन कराए गए।

दिग्विजय सिंह की साढ़े साती से कैसे बचेगी कांग्रेस
अब सवाल यह है कि जब दोनों ही पार्टियों के आॅफिस का वास्तुदोष दूर हो जाएगा और यदि इसी से नतीजे प्रभावित होते हैं तो 2018 के नतीजे क्या होंगे। अपनेराम तो यह कहते हैं कि कांग्रेस के आॅफिस में वास्तुदोष नहीं बल्कि कांग्रेस नेताओं में अहंकार दोष है। इसके अलावा दिग्विजय सिंह की साढ़े साती भी लगातार बनी हुई है। जनता दिग्विजय सिंह के नाम से डर जाती है और तमाम बुरा​इयां होने के बावजूद शिवराज के साथ दिखाई देने लगती है। ज्यादा विश्लेष की जरूरत नहीं। बस इतना काफी है कि दिग्विजय सिंह मप्र के मतदाताओं में खौफ का दूसरा नाम बन गया है। दिग्गी दादा यदि आज बीजेपी ज्वाइन कर लें तो सप्ताह भर में शिवराज सिंह की पूर्ण बहुमत वाली सरकार गिर जाएगी। दीवारों की दिशा बदलने से बेहतर है, दिमाग की दिशा बदली जाए। 

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