
उन्होंने दलील दी कि शिक्षा सहित अन्य सभी विभागों में पदस्थ क्लर्क ग्रेड-वन, टू और थ्री को संशोधित वेतनमान दिए जाने के संबंध में हाईकोर्ट ने पूर्व में याचिका पर राहतकारी आदेश पारित किया था। इसके बावजूद निर्धारित अवधि में आदेश का पालन नदारद रहा। इसीलिए न्यायहित में अवमानना याचिका के जरिए दोबारा हाईकोर्ट की शरण ली गई।
छह माह की मोहलत भी बीती
इस मामले में छह माह पूर्व संबंधित अधिकारी हाईकोर्ट में हाजिर हुए थे। उन्होंने सरकार की ओर से 6 माह का अतिरिक्त समय दिए जाने का निवेदन किया था। लिहाजा, समय दे दिया गया। इसके बावजूद छह माह यूं ही बीत गए। अब तक बाबुओं को संशोधित वेतनमान नहीं मिला।