कमांडेंट बंगले पर अंडरगारमेंट मंगाते हैं: महिला सैनिक की शिकायत

अभिषेक शर्मा/ग्वालियर। ग्वालियर होमगार्ड के कमांडेंट अश्विनी सूद पर महिला सैनिक ने आरोप लगाए हैं कि वे उस पर गंदी नजर रखते हैं। वे उनसे अपने अंत:वस्त्र मंगवाते हैं। वे उस पर अपने कपड़ों का बैग तैयार करने, बंगले पर उनके साथ खाना बनाने और मेल स्टाफ के साथ अकेले काम करने के लिए काफी समय से दबाव बना रहे हैं। उनकी बात नहीं मानी तो अब मेरा चार महीने से अधिक का वेतन रोक दिया।

महिला सैनिक के गंभीर आरोपों के संबंध में कमांडेंट सूद का कहना है कि वह घर बैठकर सैलरी लेने की आदी हो चुकी है। वह स्पाइनल कॉड व हार्ट की बीमारी का बहाना बनाकर व फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट लगाकर कई-कई दिनों तक ड्यूटी से गायब रहती है। श्री सूद के अनुसार उनकी सीनियर ऑफिसर की शह पर महिला सैनिक लैगिंग उत्पीड़न के आरोप लगा रही है।

महिला सैनिक ने लैगिंग उत्पीड़न की शिकायत जिला महिला सशक्तिकरण कार्यालय में 9 मई 2017 को दर्ज कराई थी। सात दिन पहले कलेक्ट्रेट स्थित महिला सशक्तिकरण कार्यालय में कमांडेंट अश्विनी सूद और पीड़ित महिला ने अपने बयान दर्ज कराए।

आरोपों की जांच जिला स्तरीय स्थानीय परिवाद समिति कर रही है। बयान दर्ज कराने के दौरान समिति की अध्यक्ष ममता सिंह ने श्री सूद से इस बात को लेकर नाराजगी भी जताई थी कि वे आरोपों के संबंध में अपना पक्ष रखने के स्थान पर कुछ अन्य महिला सैनिकों को समिति के सामने पेश कर जांच से पहले ही खुद को 'चरित्रवान" साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। समिति की अध्यक्ष ने कमांडेंट को 10 दिन के अंदर आरोपों के विस्र्द्ध डॉक्यूमेंटरी सबूत पेश करने के निर्देश दिए हैं। वहीं समिति ने पीड़ित महिला की मांग पर तत्काल प्रभाव से तीन महीने का अवकाश स्वीकृत कर कमांडेंट कार्यालय की ड्यूटी से मुक्त कर दिया है।

महिला सैनिक ने लगाए ये आरोप
 मुझसे कहा कि बंगले पर आकर मेरे अंत:वस्त्र तलाशकर मुझे दिया करो। फिर मेरे कपड़ों का बैग तैयार किया करो। होमगार्ड कार्यालय में टॉयलेट बेहद गंदा है। मैंने सफाई कराने को कहा तो कमांडेंट बोले कि मेरे बंगले का टॉयलेट इस्तेमाल कर लो। कमांडेंट का खास आदमी सैनिक मोहनलाल पाठक मुझसे आकर कहता है कि साहब के बंगले पर चली जाया करो और उनकी किचिन में जाकर उनके साथ खाना बनाया करो। कमांडेंट की पत्नी सहकारिता विभाग में काम करती हैं। वे बंगले पर नहीं होती हैं तो अपने छोटे बच्चे की तीमारदारी के लिए मुझे मेल स्टाफ के साथ अकेले में बंगले जाने के लिए दबाव बनाते हैं।

कमांडेंट ने हर आरोप के दिए जवाब
 मैंने कभी भी उस महिला सैनिक से नहीं कहा कि वो मेरे अंत:वस्त्र तलाशे या मेरे कपड़ों का बैग तैयार करे। कार्यालय में मेरी पोस्टिंग से पहले टॉयलेट ही नहीं था। मैं आया तो मैंने महिला सैनिकों के लिए अलग से टॉयलेट बनवाया। आप यहां मौजूद अन्य महिला सैनिकों से पूछ लीजिए कि क्या टॉयलेट में सफाई नहीं होती। मैंने उस महिला सैनिक को नहीं कहा कि वो बंगले पर आकर मेरा टॉयलेट इस्तेमाल करे।

 मोहनलाल पाठक बेहद सीधा-सादा सैनिक है। बेहूदा आरोप लगाया है। मेरे किसी भी मेल स्टाफ ने उस महिला सैनिक को मेरे बंगले पर आने के लिए दबाव नहीं बनाया। वो पिछले डेढ़ साल से फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के सहारे ड्यूटी से गायब रह रही थी। मैंने 1 अगस्त 2016 को पहली बार उसे अवकाश पर जाने से रोका था, लेकिन वो मनमानी करती रही। 11 दिसंबर तक यही सिलसिला चलता रहा। मैंने उसका सवा चार महीने का वेतन जानबूझकर नहीं रोका। फिटनेस प्रमाण पत्र मांगा तो दिल्ली एम्स और भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के एक ही तारीख के प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए ।जाहिर है उनमें से एक फर्जी था। थाने, नारी निकेतन सहित जहां भी ड्यूटी लगाई, बीमारी का बहाना कर वहां भी अनुशासनहीनता की।

पर्दे के पीछे की एक कहानी यह भी
होमगार्ड के जिला कमांडेंट अश्विनी सूद और डिवीजनल कमांडेंट संगीता डी.कुमार के बीच पिछले काफी समय से तकरार चल रही है। कमांडेंट अश्विनी सूद बताते हैं कि वो महिला सैनिक डिवीजनल कमांडेंट की शह पर ही इस तरह के आरोप लगा रही है। जब भी मैंने उस महिला सैनिक को अवकाश पर जाने से रोका तो डिवीजनल कमांडेंट मैडम उसे अवकाश दे देती थीं। मैं अगर उसकी पोस्टिंग किसी कार्यालय में करता हूं तो संगीता मैडम उसे वहां से मुक्त कर देती थीं।

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