मप्र के महाधिवक्ता रवीशचन्द्र ने अचानक इस्तीफा सौंपा

जबलपुर। मध्यप्रदेश के महाधिवक्ता रवीशचन्द्र अग्रवाल ने शनिवार को अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंप दिया। वो आरडी जैन की जगह महाधिवक्ता बने थे। इत्तेफाक की बात यह है कि आरडी जैन ने भी इस्तीफा ही दिया था। श्री अग्रवाल का कार्यकाल आगामी विधानसभा चुनावों तक था, फिर भी उन्होंने अचानक यह फैसला ले लिया। 

9 नवंबर 2014 को संभाला था कार्यभार
8 दिसम्बर 1939 को जन्मे 78 वर्षीय वरिष्ठ अधिवक्ता रवीशचन्द्र अग्रवाल ने 9 नवंबर 2014 को मध्यप्रदेश के महाधिवक्ता का पद संभाला था। इससे पूर्व में छत्तीसगढ़ राज्य के महाधिवक्ता भी रह चुके थे। बेहद रिजर्व नेचर के श्री अग्रवाल का कार्यकाल निर्विवादित रहा। उन्होंने कई मोर्चों पर सरकार को जीत भी दिलाई है।

इस्तीफे का कारण नहीं बताया
अचानक दिए गए इस्तीफे को लेकर किए गए सवाल के जवाब में श्री अग्रवाल ने कहा कि वे एडवोकेट एक्ट में कंडक्ट रूल-36 को पूर्ण सम्मान देते हैं। इसके तहत मीडिया से किसी तरह का ऐसा संवाद उनकी नजर में उचित नहीं है, जिसका संबंध वकालत के प्रोफेशन में फायदा पहुंचने से हो।

हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि अब परिवार के साथ अधिक से अधिक वक्त बिताएंगे। उनका बेटा और उनके बच्चे (पोते) अमेरिका के कैलीफोर्निया शहर में बस गए हैं। विगत 15 वर्षों में कई बार उनसे मिलने गया, अब जिम्मेदारी से मुक्त होकर उनके साथ और समय बिता सकूंगा। इसके बावजूद अंतिम इच्छा तो यही है कि अदालत में बहस करते हुए ही अंतिम सांस लूं, इसलिए वकालत के प्रोफेशन से मेरा जुड़ाव पूर्ववत निरंतर रहेगा। 
पुरुषेंद्र कौरव का नाम रेस में सबसे आगे
इस कड़ी में सबसे सशक्त नाम अतिरिक्त महाधिवक्ता और हाल ही में वरिष्ठ अधिवक्ता नामांकित हुए पुरुषेन्द्र कौरव का है। हालांकि इन दिनों उनका पूरा फोकस दिल्ली में असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल बनने पर होने के कारण वे स्वयं को इस दौड़ से बाहर मान रहे हैं। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव यदि स्वयं इस रेस से बाहर होते हैं तो हाल ही में वरिष्ठ अधिवक्ता नामांकित हुए पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, वर्तमान अतिरिक्त महाधिवक्ता केएस वाधवा, वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे और वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ के नाम पर भी विचार हो सकता है।

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