छात्र ने CID देखकर रची अपनी किडनैपिंग, पुलिस ने CRIME PETROL की तरह पकड़ लिया

INDORE। यहां एक मजेदार मामला सामने आया है। एक स्कूल स्टूडेंट ने सीरियल सीआईडी से इंस्पायर होकर अपनी किडनैपिंग प्लान की। माता पिता को पता चला तो वो घबरा गए। पुलिस के पास पहुंचे। पुलिस ने भी क्राइम पेट्रोल की तरह पूछताछ की और फोटो ले जाकर लोगों से दिखाया। बस फिर क्या था, बच्चा एक कमरे में आराम से सोता हुआ मिल गया। पुलिस के मुताबिक बीछाखेड़ी सतवास (देवास) निवासी 20 वर्षीय संजय बकोरे बुधवार सुबह गायब हो गया था। दिनभर उसका मोबाइल स्वीच ऑफ रहा। शाम करीब 5 बजे उसने मामा नारायण (निपानिया) के मोबाइल पर कॉल कर कहा उसे चार-पांच बदमाशों ने अगवा कर बंधक बना लिया। छोड़ने के बदले 2 लाख रुपए की मांग कर रहे हैं। पुलिस को सूचना देने पर उसकी हत्या भी कर सकते है।

अपहरण की सूचना से परिजन घबरा गए। गुरुवार सुबह चंदननगर थाने पहुंचे और घटनाक्रम बताया। पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरु की। और फिर कुछ समय में चंदननगर पुलिस ने डीएड छात्र के अपहरण का खुलासा कर दिया। छात्र खुद ही परिजनों को कॉल कर फिरौती में दो लाख रुपए मांग रहा था। वह पढ़ाई में कमजोर था। उसका एक पेपर बिगड़ गया था। पुलिस ने उसके मोबाइल की टॉवर लोकेशन निकाली और गुरुवार देर रात बागली से पकड़ लिया। छात्र ने टीवी सीरियल देखकर अपहरण की साजिश रचना कबूल किया है।

स्कूल प्रबंधन और छात्रों ने बताया संजय बुधवार सुबह स्कूल में था लेकिन कुछ देर बाद तीन इमली जाने का बोलकर चला ग़या। पुलिस को इससे उसी पर शक गहराया। उसके मोबाइल की लोकेशन निकाली तो बागली (देवास) की मिली। पुलिस की दो टीमें छात्र का फोटो लेकर बागली पहुंची और स्कूल व बस स्टैंड के आसपास लोगों को फोटो दिखाया। चार युवकों ने बताया संजय दो दिन पूर्व बागली आया है। टीम उसके रुम पर पहुंची तो दरवाजा बंद कर सोते हुए मिल गया। उसने पूछताछ में बताया पढ़ाई में कमजोर होने से उसका एक पेपर बिगड़ गया था।

टीवी पर सीआईडी सीरियल देखकर खुद के अपहरण की साजिश रची। इसके तहत वह बागली पहुंचा और कहा 11वीं में एडमिशन लिया है। उसने 1200 रुपए महीने में रुम किराए पर ले लिया। बुधवार को मकान मालिक को 200 रुपए दिए और जाकर सो गया। मकान मालिक ने 1000 रुपए मांगे तो कहा दोस्त सामान और रुपए लेकर आ रहा है। परिजनों के मुताबिक उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। बेटे को पढ़ाने के लिए मामा के पास भेजा था। पारिवारिक स्थिति देखते हुए वह पढ़ाई छोड़ने की हिम्मत भी नहीं कर सका
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