आत्महत्या करने वाले किसानों को भी मुआवजा मिलना चाहिए: कमलनाथ

दिल्ली/भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद कमलनाथ ने कहा कि 6 जून को मध्यप्रदेश के मंदसौर में शिवराज सरकार के इशारे पर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे निहत्थे 6 किसानो की पुलिस गोलीबारी से हुई निर्मम हत्या के बाद भी प्रदेश में अन्नदाताओ की आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।  किसानो की हत्या के बाद प्रदेश के मुखिया शिवराज की उपवास की नौटंकी के बाद भी शिवराज सरकार, किसानो की समस्याओं को हल करने की दिशा में कोई गंभीरता नहीं दिखा रही है।

उन्होंने कहा किसानो के क़र्ज़ माफ़ी से लेकर, उनकी फ़सलो के समर्थन मूल्य बढ़ाने, उत्पाद की लागत से 50% मुनाफ़ा देने, उनकी आय दोगुनी करने, बिजली बिल माफ़ी जेसे झूठे वादों के दम पर सत्ता में आयी भाजपा, सारे वादे भूल चुकी है। शिवराज सरकार ने भी अपने फ़ाइव स्टार उपवास स्थल से किसानो की प्रमुख ठोस माँगो पर कोई फ़ैसला नहीं लिया। किसान भाजपा के राज में ख़ुद को ठगा महसूस कर रहा है और निरंतर हो रहे घाटे के कारण क़र्ज़ के बोझ तले दबता जा रहा है। 

ख़ुद को किसान पुत्र कहने वाले शिवराज के राज में प्रदेश, किसानों की आत्महत्या के मामले में देश में दूसरे नं. पर है और शिवराज की किसान विरोधी नीतियो के कारण ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शर्मनाक बात यह है कि शिवराज सरकार और उनके मंत्री, किसानों की आत्महत्या को आत्महत्या मानने को तैयार नहीं। आत्महत्या करने वाले किसानो को भी सरकार को मुआवज़ा देना चाहिये लेकिन सरकार मुआवज़ा देने को हरगिज़ तैयार नहीं।

प्रदेश में 8 जून से अभी तक 16 किसान क़र्ज़ के कारण आत्महत्या कर चुके है। इनमे से सर्वाधिक किसान विदिशा, सीहोर व रायसेन इलाक़े के हैं जो कि मुख्यमंत्री व देश की विदेश मंत्री का क्षेत्र है। जब इनके इलाक़े के ही अन्नदाताओ की ये स्थिति है, तो प्रदेश के अन्य इलाक़ों की कल्पना की जा सकती है।

कांग्रेस किसानो की लड़ाई में उनके साथ खड़ी है और उनके दुःख में भी सहभागी है। हमने कहा था कि हम हर दुखी किसान के साथ खड़े होंगे। हम आत्महत्या करने वाले किसानो के घर भी, उनके परिजनो से मिलने जायेंगे। इसकी शुरुआत हम 23 जून को नरसिंहपुर ज़िले के ग्राम धमना से सुबह 11 बजे कर रहे है।

जहाँ लक्ष्मीप्रसाद पटेल नाम के किसान ने सरकार की नीतियो व क़र्ज़ के कारण आत्महत्या कर ली। उसके ऊपर बैंक का क़र्ज़ था। उसकी फ़सल का नुक़सान हुआ था। बीमा व मुआवज़े के लिये वो अधिकारियों के पिछले कई दिनो से चक्कर लगा रहा था, लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिली। जिसके कारण उसने मौत को गले लगा लिया। कांग्रेस किसानो की हर लड़ाई में, दुःख में उनके साथ खड़ी है और उनकी हर लड़ाई को अब कांग्रेस लड़ेगी। 

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