कभी-कभी जीवन में हमें वह नहीं मिलता, जो हम चाहते हैं, लेकिन सही सोच और आत्मविश्वास से हम हर स्थिति को अपने पक्ष में कर सकते हैं। यह कहानी Tenali Rama की चतुराई और सकारात्मक दृष्टिकोण की है, जो हमें सिखाती है कि हालात चाहे जैसे हों, बुद्धि और सम्मान से हर चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है।
विजयनगर के राजा Krishnadevaraya ने युद्ध में शानदार जीत हासिल की थी। विजय का उत्सव पूरे दरबार में धूमधाम से मनाया गया। उत्सव के अंत में राजा ने घोषणा की, "यह जीत केवल मेरी नहीं, मेरे सभी साथियों और सहयोगियों की है। मैं चाहता हूँ कि मेरे मंत्रिमंडल के सभी सदस्य इस अवसर पर reward चुनें। लेकिन एक शर्त है—सबको अलग-अलग पुरस्कार लेना होगा।"
राजा के आदेश पर पुरस्कारों से सजा मंडप खोला गया। सोने की मालाएँ, हीरे की अँगूठियाँ, रेशमी पगड़ियाँ, और कीमती भाले जैसे आकर्षक पुरस्कार वहाँ सजे थे। दरबारी उत्साह में आ गए और बेहतरीन prize लेने की होड़ में जुट गए। थोड़ी धक्का-मुक्की के बाद सभी को एक-एक पुरस्कार मिल गया। लेकिन सबसे सस्ता पुरस्कार—एक साधारण silver plate—अब भी बाकी था।
दरबारियों ने हिसाब लगाया तो पता चला कि Tenali Rama, जो हमेशा अपनी हाजिरजवाबी के लिए मशहूर थे, अभी तक नहीं पहुँचे थे। सभी ने ठान लिया कि इस बार तेनालीराम का मजाक उड़ाया जाएगा, क्योंकि उन्हें यह "बेकार" चाँदी की थाली मिलने वाली थी। जैसे ही तेनालीराम दरबार में दाखिल हुए, दरबारी एक स्वर में चिल्लाए, "आइए, तेनालीराम जी! आपका अनोखा पुरस्कार इंतजार कर रहा है!"
तेनालीराम ने शांतचित्त होकर सभी को देखा। दरबारियों के हाथों में चमकते सोने-हीरे के पुरस्कार थे, और उनके चेहरों पर तेनालीराम को चिढ़ाने की मुस्कान। बिना कुछ बोले, तेनालीराम ने चाँदी की थाली उठाई, उसे माथे से लगाया, और अपने दुपट्टे से ढंक लिया, जैसे उसमें कोई अनमोल खजाना हो।
राजा कृष्णदेव राय ने उत्सुकता से पूछा, "तेनालीराम, तुम थाली को दुपट्टे से क्यों ढंक रहे हो?"
तेनालीराम ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "महाराज, अब तक आपके दरबार से मुझे हमेशा अशर्फियों से भरे थाल मिले हैं। यह पहला मौका है, जब मुझे केवल एक चाँदी की थाली मिली। मैं इसे इसलिए ढंक रहा हूँ, ताकि लोग यही समझें कि इस बार भी आपने तेनालीराम को treasure से भरी थाली दी है। आपकी शान बनी रहे, और मेरी इज्जत भी कायम रहे!"
तेनालीराम की यह witty response सुनकर राजा प्रसन्न हो गए। उन्होंने अपने गले से बहुमूल्य हार उतारा और कहा, "तेनालीराम, तुम्हारी थाली आज भी खाली नहीं रहेगी। यह लो, सबसे कीमती पुरस्कार!" राजा ने वह हार तेनालीराम की थाली में डाल दिया। दरबार में सन्नाटा छा गया। जो दरबारी तेनालीराम का मजाक उड़ा रहे थे, वे अब शर्मिंदगी से एक-दूसरे का मुँह ताकने लगे। एक बार फिर, तेनालीराम की बुद्धि ने सबसे सस्ते पुरस्कार को सबसे कीमती सम्मान में बदल दिया।
जीवन का सबक: बुद्धि और आत्मविश्वास से हर स्थिति को जीता जा सकता है
यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कई बार हमें वह नहीं मिलता, जो हम चाहते हैं। लोग हमें कम आंक सकते हैं, और हालात हमारे खिलाफ हो सकते हैं। लेकिन positive mindset, self-respect, और smart thinking से हम हर चुनौती को अवसर में बदल सकते हैं। तेनालीराम ने न केवल अपनी इज्जत बचाई, बल्कि सबसे मूल्यवान पुरस्कार भी हासिल किया।
तो, अगली बार जब जीवन आपको एक "चाँदी की थाली" दे, तो उसे आत्मविश्वास से थामें और अपनी बुद्धि से उसे golden opportunity में बदल दें। Success आपकी प्रतीक्षा कर रही है!