देशहित में TAX देना नहीं चाहते बाबा रामदेव, GST का विरोध करेंगे

नई दिल्ली। भारत में देशभक्ति का ध्वज थामकर भाजपा के करीब आए बाबा रामदेव GST के प्रावधानों से काफी नाराज हैं। विदेशी का विरोध करके पतंजलि का कारोबार जमाने वाले रामदेव इस बात से नाखुश हैं कि मोदी सरकार ने GST के तहत आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स पर 12 पर्सेंट टैक्स लगा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि टैक्स देशहित में जरूरी है परंतु रामदेव अपने मुनाफे में से टैक्स अदा करने के मूड में नहीं है। जल्द ही वो GST के विरुद्ध वित्तमंत्री अरुण जेटली से मिलने वाले हैं। 

पतंजलि आयुर्वेद के प्रवक्ता एस. के. तिजारावाला ने इकनॉमिक टाइम्स से बातचीत करते हुए कहा कि, 'हम आम आदमी के हित में सरकार से आयुर्वेदिक कैटिगरी के लिए GST रेट पर दोबारा विचार करने का निवेदन कर रहे हैं। अच्छी सेहत या अच्छे जीवन के बिना अच्छे दिन नहीं आएंगे।'

आयुर्वेद के नाम पर आधारित टूथपेस्ट से लेकर शैंपू, बिस्कुट और नूडल्स जैसे कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स बनाने वाली पतंजलि खुद को 'स्वदेशी' के तौर पर पेश करती है। तिजारावाला ने कहा कि कंपनी मुनाफा कमाने के लिए नहीं, बल्कि आम आदमी के लिए किफायती दामों पर इलाज और देखभाल के लिए बिजनस कर रही है। हालांकि उन्होंने यह दावा नहीं किया कि कंपनी कोई लाभ नहीं कमा रही है। उन्होंने बाबा रामदेव की ओर से कहा, 'आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स पर अधिक GST रेट निराश करने वाला है। हम उन लोगों में से हैं, जिन्होंने कंज्यूमर्स के लिए किफायती दामों पर आयुर्वेद को फायदेमंद बनाया है। अब इस रास्ते पर अन्य कंपनियां चल रही हैं।'

देश भर में कोड़ियों के दाम मिली हैं सरकारी जमीनें
बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद को देश भर में बेहद सस्ती दरों पर सरकारी जमीनें मिली हैं। भाजपा शासित कुछ राज्यों में तो उन्हे दूसरे उद्योगपतियों से कुछ ज्यादा लाभ दिए गए हैं। मप्र में तो इसके लिए नियम ही बदल दिए गए। बावजूद इसके कंपनी अपना मुनाफा कम करने को तैयार नहीं है। उल्टा टैक्स चुकाने में अक्सर आनाकानी करती है। 

कालेधन का विरोध लेकिन पतंजलि के प्रोडक्ट की नगद बिक्री
इधर बाबा रामदेव कालेधन का विरोध करते हैं उधर देश भर में नगद बिक्री पर पतंजलि के उत्पाद बिकवाए जा रहे हैं। मोदी की डिजिटल इंडिया के सपने को दरकिनार करते हुए पतंजलि की फुटकर दुकानों पर कार्ड स्वेपिंग या आॅनलाइन पेमेंट की कोई सुविधा ही नहीं है। देश भर में हजारों ऐसे फुटकर विक्रेता नियुक्त कर दिए गए हैं जिनके पास गुमाश्ता लाइसेंस तक नहीं है। ज्यादातर फुटकर विक्रेता पतंजलि उत्पाद खरीदने पर पक्का बिल नहीं देते। कमावेश उनके पास पक्का बिल बुक ही नहीं है। 
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