भोपाल में फर्जी बिल्डर्स ने सरकारी जमीन पर सस्ते PLOT काटकर बेच दिए

भोपाल। राजधानी में फर्जी बिल्डर्स पैसे की पॉवर का इस्तेमाल कर खुलेआम ठगी कर रहे हैं। कई इलाकों में आपको पान की दुकान से भी छोटे अस्थाई स्टॉल पर 'प्लाट मात्र 1.50 लाख रुपए में' लिखा मिल जाएगा। प्रशासन को इसकी जानकारी भी होती है परंतु बिल्डर की ठगी होने से पूर्व कोई कार्रवाई नहीं की जाती। जब बिल्डर माल समेट लेता है तो प्रशासनिक अमला कार्रवाई करने पहुंच जाता है। बीते रोज भी यही हुआ। करोंद में सरकारी जमीन पर प्लॉट काटकर बेच देने का मामला सामने आया है। एसडीएम ने सभी कब्जाधारियों को जमीन खाली करने को कहा है। कई कब्जाधारी चले भी गए लेकिन 4 उपभोक्ताओं ने तो मकान ही तान लिए। प्रशासन की कार्रवाई फर्जी बिल्डर को दबोचने के बजाए कब्जाधारी उपभोक्ताओं से जमीन खाली कराने तक ही सीमित है। 

जानकारी के अनुसार करोंद स्थित व्यंजन ढाबे के सामने सीलिंग (सरकार) की पौने दो एकड़ जमीन है। जिसमें कुछ महीनों पहले महिला चंदन बाई ने अचल और अमीन के साथ एग्रीमेंट कर 20 से अधिक लोगों के प्लॉट काटकर बेच दिए। इस जमीन पर कालोनी विकसित कराना प्रारंभ भी हो गया था। जिन लोगों ने प्लाट खरीदे उन्होंने भी प्लॉट के चारों ओर पिलर गाढ़कर तार फेंसिंग कर अपने-अपने नाम के बोर्ड भी लगा दिए। 

जब सारे प्लाट बिक गए तब एसडीएम गोविंदपुरा पूरे दल-बल के साथ मौके पर पहुंच गए। उन्होंने कब्जेधारियों को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि यदि सरकारी जमीन से कब्जा नहीं छोड़ा तो उनकी खैर नही। प्रशासनिक कार्रवाई से बचने के लिए उपभोक्ता कब्जा छोड़कर भाग गए लेकिन 4 उपभोक्ताओं ने मकान बना लिए हैं। वो परेशान हैं कि अब क्या करें। इधर एसडीएम गोविंदपुरा ने शासकीय जमीन पर हुए कब्जे की विस्तृत जांच शुरू करा दी है।

2 लाख में बेचे थे 1000 वर्गफीट का प्लाट
इस जमीन पर बेचे गए 1000 वर्गफीट के प्लाट 2 लाख रुपए में बेचे गए थे। मिडिल क्लास लोगों ने निवेश की दृष्टि से प्लाट खरीद लिए। इनमें से 4 ऐसे निकले जिन्होंने मकान भी बना लिए। फर्जी बिल्डर ने वादे के अनुसार डवलपमेंट भी शुरू कर दिया। इसी दौरान कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई से फर्जी बिल्डर का तो कुछ नहीं बिगड़ा। जिन उपभोक्ताओं ने प्लाट खरीदे थे। उनका पैसा जरूर डूब गया। 

बुधवार से शुरू हुई कार्रवाई 
एसडीएम मुकुल गुप्ता ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से करोंद स्थित व्यंजन ढाबे के सामने खसरा क्रमांक - 150/1/2 की शासकीय सीलिंग की पौने दो एकड़ भूमि पर प्लॉटिंग कर कालोनी विकसित किए जाने की सूचना मिली थी। बुधवार को तहसीलदार सुधीर कुशवाह, नायब तहसीलदार सुधाकर तिवारी व आरआई रणधीर सिंह मीणा के साथ मौका निरीक्षण किया तो मामला सही पाया गया। जैसे ही टीम वहां पहुंची तो पहले चंदन बाई ने शासकीय जमीन पर जाने से रोका। उसने कहा कि यह जमीन उनकी है और वहीं प्लॉट काटकर बेच रही है। जैसे ही एसडीएम ने अपना पद बताया तो महिला पलट गई और कहने लगी कि यह जमीन तो मेरे पिता के नाम पर है। अचल और अमीन नाम के दो लोग मेरी बिना सहमति ने इस जमीन पर प्लॉट काटकर बेच रहे हैं। जमीन के संबंध में दस्तोवज भी करोंद थाने में जमा करा दिए हैं। जब महिला से पूछा गया कि उसने कितने लोगों को प्लॉट बेंचे हैं तो इधर उधर की बातें करनी लगी।

खुलेआम बिके थे प्लाट, प्रशासन कहां था
लोगों का कहना है कि ये प्लाट खुलेआम बैनर और विज्ञापन के जरिए बेचे गए थे। तब प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। यहां यह मानना मुश्किल होगा कि प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं थी क्योंकि प्रशासनिक अमला राजधानी के हर कौने पर नजर रखता है। कोई दुकानदार किसी गली में भी अतिक्रमण करे तो प्रशासन को पता चल जाता है। यह बात दीगर है कि कार्रवाई नहीं होती और लोगों को भ्रम बना रहता है कि प्रशासन अंजान है। 

दर्जनों फर्जी बिल्डर सक्रिय हैं भोपाल में
राजधानी के चारों तरफ दर्जनों फर्जी बिल्डर्स सक्रिय हैं। ये ऐसे बिल्डर हैं जिनका कहीं कोई पंजीयन ही नहीं हैं। इन्होंने अपने आॅफिस खोल रखे हैं। आॅफिस में कॉल सेंटर्स हैं जहां लड़कियां लोगों को फोन लगाकर सस्ते प्लाट के बारे में जानकारी देतीं हैं और अच्छे मुनाफे के लालच में लोग निवेश कर बैठते हैं। आम आदमी को आज भी लगता है कि एक एग्रीमेंट इस बात की गारंटी है कि वह भूस्वामी हो गया है। रजिस्ट्री को वह प्रमाणित मानता है। जबकि घूसखोरी के चलते फर्जी रजिस्ट्रियां भी हो रहीं हैं। 
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