
जिस पर परिवादी द्वारा संबंधित बैंक को तत्काल आवेदन भी दिया लेकिन कोई कार्रवाई न होने से परिवादी को उपभोक्ता फोरम की शरण लेनी पड़ी। फोरम के समक्ष परिवादी की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों साक्ष्य व दलीलों का परिसीलन करते हुए विद्वान फोरम ने टिप्पणी की कि सेंन्ट्रल बैंक आॅफ इंडिया जैसी प्रतिष्ठित बैंक संस्था से एक आम ग्राहक जहां उत्कृष्ट सेवाऐं प्राप्त करने की अपेक्षा करता है।
विद्वान फोरम द्वारा परिवादी के उपरोक्त प्रस्तुत परिवाद में परिवादी को हुई तीन वर्षों की असुविधा एवं उसके महत्वपूर्ण धन को न मिल पाने के तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया को दोषपूर्ण सेवाएं देने का उत्तरदायी मानते हुए बैंक को अविलंबत रूपए 11 हजार 200 की राशि 9 प्रतिशत ब्याज सहित परिवादी को दिलाए जाने एवं रूपए 12 हजार की मानसिक क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय दिलाए जाने का निर्णय पारित किया।