
क्या क्या हुआ कमल पटेल के साथ
पूर्वमंत्री कमल पटेल एक जमाने में प्रदेश के धाकड़ भाजपा नेता हुआ करते थे परंतु जब से नंदकुमार सिंह चौहान प्रदेशाध्यक्ष बने हैं, कमल पटेल को हरदा तक सीमित करके रख दिया गया। नर्मदा में रेत के अवैध उत्खनन का मामला कमल पटेल बहुत पहले से उठाते आ रहे हैं। इसी के लेकर उनकी कलेक्टर श्रीकांत बनोठ से तनातनी भी चल रही थी। पिछले दिनों जब कमल पटेल ने रेतमाफिया के खिलाफ एनजीटी में याचिका लगाई तो उनके बेटे सुदीप पटेल को जिलाबदर करने की फाइल चल पड़ी। सूत्रों का मानना है कि यह सबकुछ श्यामला हिल्स की जानकारी में था। कमल पटेल ने कलेक्टर की इस कार्रवाई के खिलाफ संगठन एवं सत्ता से संपर्क करने की कोशिश की परंतु उन्हे कोई तवज्जो नहीं दी गई। योजनाबद्ध तरीके से कमल पटेल को जलील करने के लिए सुदीप पटेल को जिलाबदर बदमाश घोषित कर दिया गया। जब मामला मीडिया की सुर्खियां बना और सरकार की किरकिरी शुरू हुई तो बात तो संभालने के लिए तबादले के मुहाने पर खड़े कलेक्टर को हरदा से भोपाल बुला लिया गया। इस दौरान एक बार फिर कमल पटेल की कैलाश विजयवर्गीय से पुरानी यारी सामने आ गई। पार्टी नेता कैलाश विजयवर्गीय के साथ कमल पटेल बान्द्राभान पहुंचे और पूर्वमंत्री अनिल दवे को श्रद्धांजली अर्पित की। इसके बाद सलकनपुर पहुंचकर दोनों नेताओं ने मां विजयासन देवी के दर्शन किए। इधर सरकार ने हटाए गए हरदा कलेक्टर को वापस हरदा भेज दिया। एक दिन पहले जारी किया गया अपना ही आदेश निरस्त कर दिया गया। इस तरह सरकार ने एक बार फिर कमल पटेल को जलील किया। नंदकुमार सिंह ने कमल पटेल को नोटिस जारी करके उन्हे अनुशासनहीन नेता करार देने की कोशिश की।
शिवराज के कैलाश फोबिया का नतीजा
चर्चा है कि हरदा कलेक्टर की वापसी और कमल पटेल को नोटिस सीएम शिवराज सिंह के कैलाश विजयवर्गीय फोबिया का नतीजा है। दरअसल, शिवराज सिंह को कांग्रेस से ज्यादा अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं से डर लगता है। पहले उन्होंने उमा भारती का मप्र में प्रवेश प्रतिबंधित करा दिया था। फिर कई दिग्गज मंत्रियों का शिकार किया गया। इसमें लक्ष्मीकांत शर्मा, राघवजी बाबूलाल गौर, सरताज सिंह प्रमुख नाम हैं, जिनकी राजनीति ही खत्म कर दी गई। जबकि आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री ऐसे हैं जिन्हे अच्छा काम करने के बाद ही एक दायरे में समेटकर रख दिया गया। ये सारे नाम वो हैं, जिनकी लोकप्रियता से सीएम शिवराज सिंह घबरा रहे थे। मंत्री मंडल में इंदौर से एक भी मंत्री को ना लिया जाना सीएम शिवराज सिंह के कैलाश विजयवर्गीय फोबिया को प्रमाणित करता है। कमल पटेल ने पिछले दिनों जिस तेजी से हाइट पकड़ी, शायद यह सीएम की मखमली राहों में कांटा बन सकती थी। कैलाश का हाथ कमल पटेल को स्थापित कर सकता था अत: इससे पहले कि कमल पटेल संकट बन पाते। उनके लिए इतने संकट खड़े कर दिए गए कि अब वो ना तो हरदा से बाहर निकल पाएंगे और ना ही नर्मदा की सेवा में रेत माफिया से मुकाबला का मन बना पाएंगे।