लड़कियों को आजादी है वो जिससे चाहे प्यार करें: सुप्रीम कोर्ट | SC NEWS

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि लड़कियों या महिलाओं को प्रेम करने के लिए कोई बाध्य नहीं कर सकता। उन्हे पूरी आजादी है कि वो जिससे चाहें प्यार करें और जिसको चाहे इंकार करें। ऐसा करने पर उन्हे तंग करना या प्रताड़ित करना अपराध है। सुप्रीम कोर्ट छेड़छाड़ के एक मामले में सुनवाई कर रहा है। निचली अदालत से बरी आरोपी को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए सात वर्ष कैद की सजा दी थी। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ मामले पर सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा, 'इस देश में महिलाएं सुकून और शांति से क्यों नहीं जी सकती हैं? यह किसी महिला की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह किसी से प्यार करे या न करे। उन्हें प्रेम करने के लिए विवश नहीं किया जा सकता है। प्यार की एक अवधारणा है और पुरुषों को उसे स्वीकार करना चाहिए।' याची की ओर से पेश अधिवक्ता ने पीड़िता के मृत्यु पूर्व बयान पर संदेह व्यक्त किया।

उन्होंने कहा, 'डॉक्टर के मुताबिक किशोरी 80 फीसद तक जल चुकी थी। वह बोलने में भी अक्षम थी। उसके दोनों हाथ भी जल गए थे। ऐसे में वह कुछ भी कहने या लिखने की स्थिति में नहीं थी। इस पर पीठ ने टिप्पणी की कि ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी गई कि पीड़िता को ऐसा कदम उठाना पड़ा। 

निचली अदालत ने कर दिया था आरोप मुक्त 
पुलिस के अनुसार, 16 वर्षीय पीड़िता के पिता ने आरोपी पर अपहरण और दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। किशोरी ने धमकी और छेड़छाड़ से तंग आकर जुलाई, 2008 में आग लगाकर जान देने की कोशिश की थी। झुलसी अवस्था में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई थी। निचली अदालत ने आरोपी को जुलाई 2010 में आरोप मुक्त कर दिया था। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने मृत्यु पूर्व बयान और पेश तथ्यों के आधार पर अभियुक्त को दोषी करार दिया था।
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