
करीब 25 मिनट चर्चा हुई, लेकिन छात्रों का बर्ताव देख डायरेक्टर यह कहते हुए चले गए कि आप मनमर्जी करो मैं इस्तीफा दे देता हूं। इतना सुन छात्र-छात्राओं ने तालियां बजा दीं। इसके बाद धरने पर बैठे छात्रों से चर्चा कर डायरेक्टर रात 10:30 बजे फिर पहुंचे और कहा शनिवार सुबह चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। छात्रों ने कहा कि सेमेस्टर जीरो कर दें या फिर अकादमिक गतिविधियां रोक दें, वह तब तक बाइक चलाते रहेंगे जब तक उन्हें सुविधाएं नहीं मिल जातीं।
वहीं विदेशी छात्रों ने भी होस्टल में मूलभूत सुविधाएं न होने के आरोप लगाए। छात्रों ने कहा कि यहां पर न तो अच्छा खाना मिलता है, न ही पीने को पानी। इतना ही नहीं कई फैक्लिटीज को इंग्लिश तक नहीं आती। इस कारण से उन्हें खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इस मामले में डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. योगेंद्र कुमार ने बाइक बैन के निर्णय को सही ठहराते हुए बाइक बैन जारी रखने की बात कही। जहां छात्र अपनी समस्याओं का हवाला देते हुए बाइक बैन का विरोध कर रहे है, तो वहीं प्रबंधन भी छात्रों के सामने झुकने को तैयार नहीं है।