यशोधरा के बहाने "एहसान फरामोश" शिवराज सिंह को सबक सिखाने की तैयारी

भोपाल। अटेर उपचुनाव में सिंधिया परिवार को अत्याचारी बताने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही बैकफुट पर आ गए हों परंतु हालात सामान्य नहीं हो पा रहे हैं। शिवराज सिंह विरोधी इस मौके का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। यशोधरा राजे सिंधिया अब भी नाराज हैं। वो दिल्ली चली गईं हैं। उन्होंने अटेर चुनाव में प्रचार करने से भी इंकार कर दिया है। सोशल मीडिया पर भी आज दिनभर घमासान होती रही। 

शिवराज विरोधी चाहते हैं कि अटेर उपचुनाव में मतदान से पहले यशोधरा राजे सिंधिया इस्तीफा दे दें। इसके लिए वो आग में पर्याप्त घी डाल रहे हैं। इधर शिवराज सिंह के मैनेजर्स यशोधरा राजे सिंधिया को शांत करने का प्रयास कर रहे हैं। गुटबाजी और राजनीति की चालों को समझने में हमेशा नाकाम रहीं यशोधरा राजे सिंधिया, एक बार फिर चुप हो गईं हैं। शायद उन्हे दुख है कि जिस राजमाता सिंधिया ने अपनी जमापूंजी खर्च करके भाजपा को खड़ा किया, शिवराज सिंह जैसे एहसान फरामोश नेता उसी भाजपा में मुख्यमंत्री जैसे पदों तक पहुंच गए हैं। 

कांग्रेस ने मुद्दे को भुनाने के लिए अटेर चुनाव की बागडोर पूरी तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपने का फैसला कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक कमलनाथ बस प्रचार करने आएंगे। इसके अलावा पूरी जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य के हाथों में होगी। पूर्व सीएम और भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी ने भी कहा कि यह काफी संवेदनशील मसला है और इससे दूरी बनानी ही बेहतर होगी। 

इधर शिवराज सिंह कैंप भी बस उपचुनाव में मतदान तक ही मान मनोव्वल कर रहा है। कहा जा रहा है कि वोटिंग के बाद शिवराज कैंप के लोग खुद यशोधरा राजे से इस्तीफा मांगने चले जाएंगे। कुल मिलाकर तलवारे तो खिंच गईं हैं। यशोधरा राजे और शिवराज सिंह की कै​मिस्ट्री भी ऐसी नहीं है कि सबकुछ सामान्य हो जाएगा या अपने फायदे के लिए यशोधरा राजे सिंधिया, शिवराज सिंह की दर्द भरे बयान को भुला देंगी। देखते हैं, वक्त क्या कुछ सामने लेकर आता है। 

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