
आयोग ने बाल संरक्षण अधिनियम के विपरीत हो रही मप्र पुलिस की कार्यवाही पर चिंता व्यक्त की है। आयोग के अनुसार बाल संरक्षण अधिनियम में 7 वर्ष से कम सजा के अपराधों में एफआईआर नहीं करने के प्रावधानों के बावजूद बच्चों पर मुकदमे दर्ज करने और गिरफ्तारी जैसा बर्ताव क्यों किया जा रहा है। आयोग के अनुसार भोपाल में ऐसे करीब 40 अपराध दर्ज हैं।
बाल संरक्षण से जुड़े संगठनों द्वारा जब इस सिलसिले में पुलिस से चर्चा की गई, तो कुछ थानेदारों ने बताया कि उन्हें इस तरह के नियम, अधिनियम या प्रावधानों की जानकारी नहीं है। आयोग ने कहा है कि यहां प्रश्न यह है कि पुलिस की इस अनभिज्ञता की सजा बच्चों को क्यों? आयोग ने कहा है कि पुलिस को बाल संरक्षण अधिनियम, नियम और उनमें निहित प्रावधानों की पूर्ण जानकारी हो जिससे इन बाल अधिकारियों को अन्य खूंखार कैदियों के बीच नहीं रहना पड़े।