
उत्तराखंड हाईकोर्ट का दिया हवाला
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस सुजय पॉल की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता मुकेश कुमार जैन ने दलील दी कि गंगा और यमुना को उत्तराखंड हाईकोर्ट से जीवंत-सत्ता का वैधानिक दर्जा मिल चुका है। इसी तर्ज पर नर्मदा को भी मौलिक अधिकार दिलवाने की मंशा से हाईकोर्ट की शरण ली गई है।
जनहित याचिका में ये भी कहा
याचिका के जरिए नर्मदा मैनेजमेंट बोर्ड का गठन किए जाने पर बल दिया गया है। याचिका में कहा गया कि अवैध रेत खनन से नर्मदा खोखली होती चली जा रही है। नर्मदा किनारे स्थित डेयरियों से प्रवाहित होने वाले गाय-भैंस के गोबर और मूत्र को प्रदूषण का बड़ा कारण कहा गया है।
परिक्रमा पथ पवित्र क्षेत्र हो
याचिका में सबसे अहम मांग यह की गई है कि 1312 किमी के नर्मदा परिक्रमा-पथ को ग्रीन बेल्ट और पवित्र क्षेत्र घोषित किया जाए। इस दायरे के आसपास से सभी शराब दुकानें दूर कर दी जाएं। अंडा-मांस विक्रय भी प्रतिबंधित हो। इसके लिए जुर्माना लगाया जाए।