इस मुद्दे पर बात करने से पहले अमेरिका सोचे

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनावों को शिथिल करने की दिशा में ट्रंप प्रशासन ने मध्यस्थता करने की इच्छा व्यक्त की है। अमेरिकी राष्ट्रपति की इस सद्इच्छा को भारत-पाक के द्विपक्षीय विवादों में खुद को शामिल नहीं करने की अमेरिकी कूटनीति में बदलाव का संकेत माना जा रहा है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी 2008 में राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार अभियान में भारत-पाक के बीच कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता करने की सद्इच्छा जाहिर की थी। हालांकि राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने यह स्वीकार कर लिया था कि कश्मीर भारत-पाक के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है, और किसी तीसरे पक्ष की इसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

ऐसा नहीं है कि राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद भारत को लेकर उनका हृदय परिवर्तन हो गया। सचाई यह है कि उन्होंने इस क्षेत्र के भू-राजनीतिक यथार्थ को समझ कर अपने पांव पीछे खींच लिये थे। जाहिर है कि डोनाल्ड ट्रंप और उनके सलाहकार इस क्षेत्र की वास्तविकताओं से अभी पूरी तरह परिचित नहीं हैं। अलबत्ता, नीतिगत मामलों में इस तरह की अदूरदर्शितापूर्ण पहल की अपेक्षा नहीं की जा सकती।

दरअसल, मध्यस्थता के अमेरिकी वैिक सिद्धांतकारों का विश्वास है कि दो देशों के बीच विवादों के निराकरण में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय, दोनों पहलुओं से विचार करने के सार्थक नतीजे आ  सकते हैं। दूसरे, सोवियत संघ के पतन के बाद एकल ध्रुवीय वि राजनीति ने भू-राजनीति को कई कोणों से प्रभावित किया है। इन आधारों पर मध्यस्थता के सिद्धांतकार भारत-पाक के बीच अमेरिका को मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए उत्साहित करते हैं। यह रुख पाकिस्तान के पक्ष में है, क्योंकि कश्मीर के मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करना उसकी विदेश नीति का प्रमुख हिस्सा है लेकिन यह सोच भारतीय हितों के प्रतिकूल है, क्योंकि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और नई दिल्ली इसे विवादास्पद मामला ही नहीं मानता है।

जाहिर है कि भारत-पाक द्विपक्षीय वार्ता में किसी तीसरे पक्ष को शामिल करने का अर्थ होगा कि कश्मीर का मसला विवादास्पद है। फिर, 1972 के शिमला समझौते में स्पष्ट प्रावधान है कि दोनों देश शांतिपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता के जरिए अपनी समस्याओं का निराकरण करेंगे। अलबत्ता, भारत ने अमेरिकी प्रशासन के प्रस्ताव को साफ तौर पर खारिज करने यह जतला दिया है कि इस मसले पर हम किसी के दबाव में आने वाले नहीं हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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