
यह मामला तब का है जब हेम्ब्रम राज्य उत्पाद एवं मद्य निषेध सेवा के अधिकारी थे। वे भागलपुर में बतौर उत्पाद उपायुक्त तैनात थे। हेम्ब्रम की आय से अधिक सपंत्ति का मामला आयकर विभाग द्वारा 27 जनवरी, 1997 को की गई छापेमारी के दौरान पता चला था। इसके बाद निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने भी हेम्ब्रम की काली कमाई की जांच शुरू कर दी थी।
हेम्ब्रम की काली कमाई को जब्त करने में निगरानी को करीब 17 साल तक अदालती लड़ाई लडऩी पड़ी। इस बीच हेम्ब्रम ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हे टिकट दिया। उन्होंने भाजपा के टिकट पर भागलपुर के समीप कटोरिया विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2010 में चुनाव लड़ा और विधायक बन गए।