BHOPAL में लड्डू गोपालजी की मूर्ति खा रही है दूध-दही और मक्खन

भोपाल। राजधानी के ईश्वर नगर में विराजी लड्डू गोपाल (कृष्ण का बालरूप) की एक मूर्ति इन दिनों रहस्य बनी हुई है। भक्त इसे दूध-दही, मक्खन आदि चीजें खिला-पिला रहे हैं। लोगों का दावा है कि, मूर्ति ये चीजें गृहण कर रही है। भोपाल के ईश्वर नगर में रहने वाले ठाकुर ईश्वर सिंह चौहान के घर विराजी लड्डू गोपाल की मूर्ति रहस्य बनी हुई है। उसके दर्शन करने भक्तों का तांता लगा हुआ है। यह मूर्ति आमतौर पर सिवनी में रहने वाली एक भक्त अर्चना श्रीवास्तव के घर में बने मंदिर में विराजी रहती है। 

उनके घर पर देशभर से लोग लड्डू गोपाल के दर्शन करने पहुंचते हैं। जो भक्त इस मूर्ति को अपने घर में आमंत्रित करना चाहता है, वो अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि लिखकर छोड़ आता है। ऐसी तमाम पर्चियां मंदिर में रखी जाती हैं। फिर एक लकी ड्रा के जरिये पर्ची निकाली जाती है। जिस व्यक्ति की पर्ची निकलती है, उसे बुलाकर मूर्ति अपने घर ले जाने की अनुमति दी जाती है। फिर यह मूर्ति कुछ समय के लिए उस भक्त के घर में विराजती है। कहा जाता है कि, यह मूर्ति सिवनी में कम ही रहती है, बल्कि भक्तों के घर पर चहल-कदमी करती रहती है। भक्तों का कहना है कि भगवान कृष्ण का यह बालरूप दूध-दही, मक्खन आदि पी रहा है। लड्डू गोपाल को तरह-तरह के व्यंजनों का भोग लगाया जा रहा है।

एेसे होती है दिनभर देखभाल
महिलाए लड्डू गोपाल का छोटे बच्चों की तरह लालन-पालन कर रही हैं। लड्डू गोपाल की देखरेख करने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि सुबह उठने पर उन्हें पानी, दूध दिया जाता है। उन्हें घुमाया जाता है। इसके अलावा उन्हें बच्चे की तरह नहलाना और उनका अभिषेक होता है। इसके बाद द्वारकाधीश की तरह श्रंगार कर उन्हें सिंहासन पर बैठाया जाता है। सिंहासन पर विराजमान होने के बाद उनका स्पर्श कोई नहीं कर सकता। इस बीच उनकी आरती उतारी जाती है। फिर उन्हें विभिन्न पकवानों का भोग चढ़ाया जाता है। लड्डू गोपाल दोपहर में आराम करते हैं। जब शाम को वे उठते हैं, तो उनका मुंह-हाथ धुलाया जाता है। इसके बाद पानी, दूध या चाय पिलाई जाती है। रात को शयन आरती के बाद उन्हें सुला दिया जाता है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !