BALAGHAT देवी तालाब मामले में NGT ने मुख्य सचिव को बुलाया

आनंद ताम्रकार/बालाघाट। जिला मुख्यालय बालाघाट के बहुचर्चित देवी तालाब की भूमि पर किये गये अतिक्रमण के संबंध में विचाराधीन प्रकरण क्रमांक 04/215(सीजेड) में 10 अप्रेल 2017 को राष्टीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) सेंटल जोनल बेंच भोपाल में माननीय जस्टिज श्री दिलीप सिंग एवं माननीय डॉ.सत्यवान सिंग गरबायाल विशेषज्ञ सदस्य के समक्ष सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान कहा गया की मूल आवेदन जो कि जल निकायों और झीलों के भीतर भूमि को व्यवस्थित तौर पर हथियाने के संबंध में गंभीर सवाल उठाता है।

माननीय उच्चतम न्यायायल के समक्ष इसी तरह के मुद्दे उठाये गये है जिसमें जगपाल सिंह एवं अन्य बनाम पंजाब राज्य सिविल अपील क्रमांक 1132/2011 एसएलपी(सी) नंबर 310/9/2011 के मामले में विस्तृत निर्देश पारित किया गया जोकि 17/12/2015 को मामले की सुनवाई करते समय हमारा ध्यानाकर्षण किया गया।

सुनवाई के दौरान माननीय उच्चन्यायालय ग्वालियर द्वारा रिंकेश गोयल बनाम राज्य सरकार एमपीएचटी 519(डीबी) के मामले में वर्ष 2011 को निर्देश जारी किये गये थे संभाग के राजस्व आयुक्त की अध्यक्षता में उक्त प्रयोजन के लिये राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई जल सरंक्षण के प्रभावी क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिये प्रत्येक मण्डल स्तर में एक समिति गठित की गई है।

समिति की यह भी सुश्चित करेगी की तालाबों टेंको और झीलों की भूमि पर कोई भी अतिक्रमण नही होना चाहिये और यदि किसी का भी अतिक्रमण पाया जाता है तो उसे तत्काल हटाया जाये। राज्य सरकार जल संचयन और भूजल स्तर के प्रबंधन के संबंध में प्रभावी कदम उठायेगा जिससे भूजल के स्तर को कम करने की समस्या को हल किया जा सकता है।

22/4/2016 के हमारे आदेश में निर्देशित क्षेत्र के भीतर सभी अतिक्रमण् हटाने के निर्देश दिये गये जो हमारे आदेशों के अनुपालन में हमारे सामने विशेष रूप से देवीतालाब के संदर्भ में दर्ज किये गये थे। जिसमें खसरा नंबर 319 था। इटीएसएम प्रक्रिया के साथ सर्वेक्षण किया गया और देवी तालाब के संस्थापन के लिये 16.14 एकड का क्षेत्र पहचान लिया गया था। जिसमें से केवल 10.30 एकड का एक क्षेत्र अब पानी से ठका रहता है। और बडे क्षेत्रों पर अतिक्रमण और निर्माण किया गया है।जिसमें 0.83 एकड के क्षेत्र को भी शामिल किया गया है। जिसमें मुरूम का धरती के साथ भराव किया गया हैं जोकि हमारे समक्ष 24/9/2015 को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट से स्पष्ट है।

जैसा की नगर पालिका परिषद बालाघाट के उत्तर के साथ 30/9/2015 को दायर किया गया था इस आशय की साइट योजना भी तैयार की गई थी। जिसकी प्रति हमारे सामने प्रस्तुत की गई है जो कि उन क्षेत्रों को इंगित करता है जो पानी से भरे है। जिन्हें हाल में भरे हुये क्षेत्रों में निर्माण के लिये उपयोग किया गया है इसे तुरंत बंद कर दिया जाना चाहिये।

जगपाल सिंह के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश में निहित दिशा निर्देशों का पालन करने के लिये जहां राज्यों के सभी मुख्य सचिवों को आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये थे जैसा की अनाधिकृत निर्माण निकालने के सबंध में कहा गया है और जल निकायो को अतिक्रमण मुक्त कर उनके मूल स्वरूप और आकार में बहाल किया जाये तथा नालों में जल ग्रहण क्षेत्र अतिक्रमण से मुक्त रखा जाता है ताकि इन जल निकायों में पानी का मुख्य प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके।

मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देशित करते है कि जगपाल सिह के मामले में माननीय सूप्रीम कोर्ट के आदेश और निर्देशों के मामले में कौन कौन से कदम उठाये गये प्रस्तुत करें। सुनवाई के दौरान कहा गया कि विभिन्न जल निकायों के संबंध में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये एक साल पहले से हमने निर्देश जारी किया है। मध्यप्रदेश के ज्-ब्च् विभाग को नगर पालिका बालाघाट के संकल्प दिनांक 9/6/2015 में उल्लेखित तथ्यों के अनुसार विशेष रूप से आवश्यक कार्यवाही को प्रस्तुत करने के लिये निर्देशित किया जाता है।

यह भी निर्देश दिया जाता है कि सरकार में सचिव पद के स्तर के अधिकारी जल संसाधन विभाग, राजस्व विभाग और ज्-ब्च् विभाग से सुनवाई की अगली तारीख पर इस टिब्यूनल के समक्ष पेश होगें यदि टिब्यूनल द्वारा जारी किये गये निर्देशों के साथ सभी जिला कलेक्टर द्वारा अनुपालन नही किया गया। सभी जिला कलेक्टर को निर्देश देते है कि और सूचना देते है निर्देशित सूचनाओं को निर्देश देने के निर्देशों का पालन ना करने के लिये व्यक्तिगत जिम्मेदार क्यों नही हो सकते है। इस आशय का आदेश इस टिब्यूनल द्वारा पारित किया जायेगा। यदि आवश्यक जानकारी प्रदान नही की गई और कार्यवाही की गई यह मुख्य सचिव द्वारा सभी जिले को अवगत कराया जाएगा। प्रकरण की अगली सुनवाई 25 मई 2017 को सूचिबद्ध की गई है।

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