ग्राम बोदलझोला: यहां अंग्रेजों के जमाने में कलेक्टर भी नहीं आया था, BHARAT YADAV पहली बार पहुंचे

सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। किरनापुर विकासखंड का ग्राम बोदलझोला घने वनों के बीच दुर्गम क्षेत्र में बसा है। अंग्रेजों के समय वन विभाग द्वारा बांस एवं लकड़ी की कटाई करने वाले मजदूरों को इस स्थान पर बसाया गया था। बोदलझोला ग्राम कलकत्ता से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आदिवासियों के इस छोटे से गांव में पहुंचने के लिए दुर्गम पहाड़ी रास्ते एवं घाटों को पार करके जाना होता है। इस ग्राम के ग्रामीणों की समस्याओं को करीब से जानने के लिए कलेक्टर श्री भरत यादव आज 09 मार्च को अधिकारियों के साथ बोदलझोला पहुंचे थे। आजादी के बाद पहली बार इस गांव में कोई कलेक्टर पहुंचा था। या शायद गांव की स्थापना के बाद से आज तक पहली बार। क्योंकि अंग्रेजों के जमाने में भी कभी कोई कलेक्टर यहां नहीं आया। 

कलेक्टर के साथ बोदलझोला में पुलिस अधीक्षक श्री अमित सांघी, वन मंडलाधिकारी श्री अशोक कुमार, श्रीमती राखी नंदा, जनपद पंचायत किरनापुर की अध्यक्ष श्रीमती दुर्गा बेनीराम खटोले एवं अन्य विभागों के अधिकारी  पहुंचे। लगभग 200 की आबादी के इस ग्राम के ग्रामीण बड़ी संख्या में अपना गांव छोड़कर बटामा के जंगल में अतिक्रमण कर तंबू तान कर रहने लगे है। 

कलेक्टर ने जब ग्रामीणों से वहां पर उपलब्ध बुनियादी सुविधाओ की जानकारी ली तो पता चला कि ग्राम में तीन हेंडपंप है और तीनों में जंग लगा लाल रंग का पानी आता है। वन विभाग द्वारा गांव में एक कुआं बनाया गया है। उसका पानी साफ है और गांव के लोग उस कुएं के पानी पीने में उपयोग कर रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में कक्षा 5 वीं तक स्कूल है। दूरस्थ क्षेत्र में होने के लिए सड़क का बनाया जाना बहुत जरूरी है। गांव तक बिजली के खंबे लगाये गये है और केबल बिछाया गया है और घरों में बिजली के मीटर भी लगाये गये है, लेकिन बिजली नहीं दी जा रही है। बोदलझोला जाने के दौरान ही पाया गया कि बिजली के खंबे लगाने एवं केबिल बिछाने में गुणवत्ता का कार्य नहीं किया गया है। पेड़ गिरने के कारण बिजली के केबिल पर बहुत से स्थानों पर रास्ते पर पड़े हुए पाये गये। 

बोदलझोला में ग्रामीणों से चर्चा के दौरान पता चला कि गांव में किसी की मृत्यु होने पर या जन्म होने पर ग्रामीणों द्वारा उसका पंजीयन भी नहीं कराया जाता है। यह बात भी सामने आई कि गांव में कुछ लोगों की आकस्मिक मृत्यु होने पर एक ही प्रकार के लक्षण पाये गये है। ग्रामीण अंधविश्वास में भूत-प्रेत का प्रकोप मान कर अपने घरों में ताला लगाकर बटामा के जंगल में अतिक्रमण कर रहने लगे है। ग्राम में मनरेगा के 40 जाब कार्ड धारक हैं, लेकिन गांव में मनरेगा का कार्य नहीं चलना पाया गया। 

कलेक्टर श्री यादव ने बोदालझोला के ग्रामीणों से कहा कि उनके गांव में एक हैंडपंप और खुदवाया जायेगा और जिन हेंडपंप का पानी लाल रंग का आ रहा है उनमें आयरन रिमूवल ट्रीटमेंट उपकरण लगाया जायेगा। उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि बोदलझोला तक सड़क बनाने का कार्य तेजी से कराया जायेगा और बोदलझोला से डाबरी तक 10 किलोमीटर सड़क भी बनाने की कार्ययोजना तैयार की जायेगी। उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि वे जन्म मृत्यु का पंजीयन अवश्य करायें। गांव में एक ही प्रकार की बीमारी से लोगों के मरने की उन्होंने स्वास्थ्य अमले को भेज कर जांच कराने एवं पेयजल की भी जांच कराने का आश्वासन दिया। 

कलेक्टर ने निर्माण विभागों के अधिकारियों से कहा कि वे बोदलझोला में 20-20 कार्यों र्की कार्ययोजना बनाकर शीघ्र मनरेगा से कार्य प्रारंभ करें। जिससे ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सकेगा। 

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