
इन्होंने मट्टी को अच्छी तरह से हटाया तो सामने नंदी भगवान की प्रतिमा थी। प्रतिमा देख इनके चेहरे पर आश्चर्य और उत्साह नजर आया। जानकारी लगते ही लोग इसे भोलेबाबा का चमत्कार मानते हुए ढोल बजाते हुए यहां पहुंच गए और पुष्प, अगरबत्ती के साथ नंदी भगवान का पूजन किया।
कढ़ाई में शिवलिंग व नंदी निकलने की खबर काफी रोचक है। कढ़ाई के पटवारी सुंदरलाल उपाध्याय को 4 फरवरी 2012 को सपने में कढ़ाई में मंदिर होने का सपना आया था। ग्रामीणों से चर्चा के बाद 20 फरवरी शिवरात्रि को मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया। 4 मार्च को खुदाई में परमार कालिन मंदिर होने के अवशेष मिले। 11 मार्च को शिवलिंग व जलधारी निकली।
इसके बाद अब नंदी भगवान की प्रतिमा निकली। ऐसे में पटवारी का सपना एक के बाद एक चमत्कार से सच होता गया। वही ग्रामीणों की आस्था बढ़ती गई। जिसके लिए पांच गांवों की समिति बनाकर लगातार जनसहयोग से निर्माण किया जा रहा है। कढ़ाई के बलराम उपाध्याय ने बताया कि मंदिर में नवीन समिति भी गत दिनों बनाई गई। जिसमें अध्यक्ष मुकेश पाटीदार को बनाया गया। समिति द्वारा जल्द ही प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
कढ़ाई में निकली नंदी की प्रतिमा परमार कालीन है। जिसमें दोनों सिंगों के बीच नागफन है।प्रतिमा अलंकृत होकर अदभुत है। ऐसी प्रतिमा देखने को नहीं मिलती है। पूर्व में खुदाई के दौरान भी 1200 वर्ष पुराने पत्थर, ईंटे भी निकले थे।