
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हाईकोर्ट की तरफ से बनाई गई 3 मेंबर्स की कमेटी (एमिकस क्यूरी) ने फिल्म का रिव्यू करने के बाद इसके कुछ सीन को ज्यूडिशियरी और कानूनी पेशे को बदनाम करने वाला पाया है। फिल्म को लेकर विवाद होने पर हाईकोर्ट ने एडवोकेट आरएन डोर्डे, एडवोकेट वीजे दीक्षित और डॉ. प्रकाश आर कांदे की 3 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। नांदेड़ के एडवोकेट अजय कुमार एस. वाघमारे ने इस मामले में हाईकोर्ट में पिटीशन फाइल की थी। बता दें कि सेंसर बोर्ड पहले ही फिल्म को अपनी मंजूरी दे चुका है, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद अब उसे नया सर्टिफिकेट जारी करना होगा।
हालांकि, फिल्म के प्रोड्यूसर्स के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील का ऑप्शन बाकी है। इसके चलते फिल्म की इस हफ्ते रिलीज टल सकती है।
कोर्ट रूम के ये सीन हटाए जाएंगे
1- एक डरे हुए जज को अपनी कुर्सी के पीछे छिपा दिखाया गया है।
2- जूता फेंकने का सीन।
3-आपत्तिजनक संकेत करने का सीन।
4- एक तर्क के दौरान बोले गए डायलॉग्स।
पिटीशनर का क्या कहना था?
एडवोकेट वाघमारे ने अपनी पिटीशन में कहा था, "इस फिल्म में इंडियन लीगल प्रोफेशन और ज्यूडिशियल सिस्टम को इस तरह से पेश करने की कोशिश की गई है, जिस पर लोग हंसेंगे। इसके बाद हाईकोर्ट ने कमेटी बनाकर उसे फिल्म के विवादित कंटेंट का रिव्यू करने को कहा था। एमिकस क्यूरी (कमेटी) ने रिव्यू करने के बाद फिल्म के कई सीन को ज्यूडिशियरी और कानूनी बिरादरी की इमेज खराब करने वाला पाया और उसे अदालत की अवमानना करार दिया। कमेटी ने मामले से जुड़ी अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस केके सोनावने की बेंच ने सोमवार को मामले की सुनवाई की। बेंच ने फिल्म के डायरेक्टर को 4 सीन हटाने का आदेश दिया और कहा कि ये सीन हटाने के बाद ही फिल्म को रिलीज किया जाए। इस पर डायरेक्टर ने चारों सीन हटाने का भरोसा दिया।