नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी का उदय ही कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के विरोध से हुआ था, लेकिन सियासत में कोई पक्का दोस्त या पक्का दुश्मन नहीं होता। पंजाब से जो संकेत मिल रहे हैं, वे कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में किसी को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गठबंधन कर सकती हैं। इस पर शुरुवाती चर्चा शुरू हो गई है।
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के मतों की गिनती 11 मार्च को होनी है। सियासी घटनाक्रम को करीब से देखने वाले बताते हैं कि दोनों पार्टियों ने खंडित जनादेश की स्थिति से निपटने के लिए अपनी बातचीत के दरवाजे खोल दिए हैं।
दरअसल, दोनों ही पार्टियां पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने की स्थिति से बचना चाहती हैं। कारण, ऐसा होने पर सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को 'अप्रत्यक्ष नियंत्रण' मिल जाएगा।
हालांकि, सार्वजनिक रूप से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों का कहना है कि उन्हें आसानी से बहुमत मिलेगा। मगर, राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि सीमावर्ती राज्य में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है, लेकिन वहां त्रिशंकु विधानसभा बन सकती है।
एक कांग्रेस नेता ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया कि एक त्रिशंकु विधानसभा बनना अकाली-भाजपा गठबंधन के खिलाफ मतदाताओं का फैसला होगा क्योंकि वे तीसरे स्थान पर होंगे। उस स्थिति में यह दो अन्य पार्टियों कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की जिम्मेदारी बन जाती है कि वे साथ आकर राज्य में स्वच्छ प्रशासन दे।