भोपाल। मप्र में दशकों से एक ही तरह की राजनीति होती आ रही है। अर्जुन सिंह सरकार के समय जब उन्हें लगता कि अब चुनाव जीतना आसान नहीं होगा तो उन्होंने 'पट्टा पॉलिटिक्स' शुरू कर दी। दिग्विजय सिंह सरकार के समय भी ऐसा ही हुआ। 'पट्टा पॉलिटिक्स' के तहत शुरू किया गया दलित ऐजेंडा ही दिग्विजय सिंह सरकार के पतन का कारण बना। अब शिवराज सिंह भी उसी दौर से गुजर रहे हैं और वही 'पट्टा पॉलिटिक्स' शुरू करने जा रहे हैं। देखना रोचक होगा कि शिवराज सिंह के लिए यह चाल क्या नतीजे लेकर आएगी।
पत्रकार श्री रुमनी घोष एवं वैभव श्रीधर की रिपोर्ट के अनुसार विधानसभा के बजट सत्र में प्रदेश सरकार आवास गारंटी विधेयक लाने की तैयारी में है, सरकार के इस कदम को मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर उस पट्टा पॉलिटिक्स की वापसी के तौर देखा जा रहा है जिसकी शुरुआत 1980 में अर्जुन सिंह ने की थी, जब उन्होंने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर मकान बनाने वालों को 50 वर्गफुट के पट्टे देने का नियम बनाया था। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दिग्विजय सिंह ने अपने दूसरे कार्यकाल में दलित एजेंडे के तहत गांवों में चरनोई की जमीन पट्टे पर देने का फैसला किया।
उम्मीद थी कि ये कदम 2003 के विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित होगा, लेकिन मामला उल्टा पड़ गया। चरनोई भूमि पर कब्जे को लेकर गांव-गांव में संघर्ष हुए और नतीजे कांग्रेस के खिलाफ आए। तब से ही पट्टे की राजनीति ठंडे बस्ते में चली गई थी लेकिन शिवराज सरकार ने एक बार फिर इस पर दांव लगाने का मन बनाया है। इधर कांग्रेस ने भी चरनोई और भूदान की जमीन पर दबंगों के कब्जे कोमुद्दा बना कर सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है, जाहिर है आने वाले दिनों में प्रदेश में पट्टे की पॉलिटिक्स केंद्र में आने वाली है।
जमीन पर कब्जा दिलाना सबसे बड़ी चुनौती
आवास गारंटी विधेयक ला रही सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती सालों पहले बांटे गए भूदान और चरनोई जमीन के पट्टों पर उनके वास्तविक हकदारों को कब्जा दिलाना है।इस मसले पर मुख्यमंत्री के क्षेत्र बुधनी से भोपाल तक एकता परिषद का पैदल मार्च तो किसी तरह सरकार ने रुकवा लिया, लेकिन अब 23 फरवरी को होने वाले खुले संवाद में मुख्यमंत्री को सवालों के जवाब देने पड़ सकते हैं।
भूदान और चरनोई की जमीनों पर दबंगों का कब्जा व वन भूमि से बेदखली के चलते प्रदेशभर में लगभग 12 लाख परिवार अपनी ही जमीन से वंचित हैं। इनमें सबसे ज्यादा शिकायत भिंड, मुरैना, चंद्रघाट, गुना, शिवपुरी, श्योपुर और टीकमगढ़ इलाके में है।
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सरकार ने भाजपा नेताओं को बांट दी जमीन
लोगों को ना तो पट्टे मिले और ना ही कब्जे मिले। सरकार ने आदिवासियों के लिए आरक्षित जमीन सवर्ण भाजपा नेताओं को आवंटित कर दी है। यही कारण है कि सरकारी अफसरों के आनन-फानन में तबादले करने पड़ रहे हैं।
अरुण यादव, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
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सरकार दिलाएगी कब्जे
इस तरह के मामलों को सरकार गंभीरता से ले रही है,जिन्हें कब्जा नहीं मिला उनको चिन्हित कर उन्हें कब्जा दिलाया जाएगा। सरकार सर्वे करा कर आवासहीनों को चिन्हित भी करेगी।
रामपाल सिंह, लोक निर्माण मंत्री
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मुख्यमंत्री को याद दिलाना चाहते हैं उनका वादा
2012 में इस मसले को लेकर शिवपुरी से पदयात्रा की गई थी। उस यात्रा के आखिरी दिन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी शामिल हुए थे। उन्होंने आगरा में मंच से घोषणा की थी मध्यप्रदेश में हर भूमिहीन को जमीन दी जाएगी। हम वही वादा याद दिलाना चाहते हैं।
पीवी राजगोपाल, संस्थापक, एकता परिषद