
खेल सचिव इंजेती श्रीनिवास ने बताया कि कुछ मामले हैं जहां जिसकी हमें अज्ञात शिकायतें मिली हैं, लेकिन उन पर भी तुरंत एक्शन लिया गया है। हमने क्वॉलिटी काउंसिल अॉफ इंडिया से साइट पर जाने को कहा है। वह चलाए जा रहे केंद्रों की हर पहलू से जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि अॉडिट सिर्फ इसी का नहीं होगा। आरोप और गलत काम भी हमारे पैरामीटर्स का हिस्सा हैं।
एसएआई की वेबसाइट के मुताबिक देशभर में उसके 57 ट्रेनिंग सेंटर्स हैं, जहां 12 से 18 साल के करीब 5,394 बच्चे प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनमें 3,807 लड़के और 1,587 लड़कियां हैं। बता दें कि ड्राय फ्रूट्स खिलाड़ियों की डाइट का ही हिस्सा है और पहलवानी, बॉक्सिंग और गोला फेंक जैसे ताकत वाले खेलों के लिए यह काफी जरूरी माने जाते हैं। एसएआई में ट्रेनिंग लेने वाले हर खिलाड़ी को सरकारी भत्ते पर अन्य चीजों के अलावा दैनिक आहार और पावर सप्लिमेंट्स दिए जाते हैं। इसके अलावा खिलाड़ी की डाइट की जरूरत उसके कोच और फिजियोथेरेपिस्ट तय करते हैं, जबकि कुछ मामलों में न्यूट्रिशिनिस्ट को भी कैंप शुरू होने से पहले बुलाया जाता है। इस बारे में ट्रेनिंग सेंटर के अध्यक्ष को सूचना पहुंचाई जाती है और वही केटरर को इस बारे में बताता है।
केटरर को दिए जाते हैं पैसे
सरकारी भत्ता हर खेल और उम्र के लिए अलग होता है। खिलाड़ियों को सीधे भत्ता देने के बजाय सरकार सेंटर पर मौजूद केटरर को यह पैसा देती है। इस मामले में लोगों ने केटरर, कोच और अधिकारियों पर गठजोड़ का आरोप लगाया है। एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि सीनियर लेवल पर एेसा नहीं होता क्योंकि खिलाड़ियों को बता होता है कि वे किसके हकदार हैं। लेकिन जूनियर खिलाड़ियों को उनके कोच बताते हैं कि उन्हें क्या और कितना खाना है। वहीं एसएआई के डायरेक्टर जनरल श्रीनिवास ने बताया कि मंत्रालय एक डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर सिस्टम पर विचार कर रही है जिससे खिलाड़ियों को उनके हिस्सा का भत्ता सीधे तौर पर मिल सके।