भोपाल। देश में हर रोज कोई ना कोई जांच आयोग गठित होता ही रहता है। ज्यादातर ऐसा होता है कि आयोग निर्धारित समय पर अपनी जांच पूरी नहीं कर पाता। आयोग का कार्यकाल बढ़ा दिया जाता है। कभी कभी आरोप लगते हैं कि लगातार फीस के लालच में आयोग के अध्यक्ष कार्यकाल बढ़वाते रहते हैं, परंतु भोपाल में इसका उलट हुआ है। भोपाल एनकाउंट केस की जांच के लिए गठित आयोग का कार्यकाल खत्म हो गया लेकिन जांच पूरी नहीं हुई तो जस्टिस एसके पांडे ने फैसला किया कि अब वो मानदेय नहीं लेंगे। दस्तावेजी औपचारिकता पूरी करने के लिए 1 रुपए मानदेय लेंगे।
सेंट्रल जेल भोपाल से सिमी आतंकियों के भागने और पुलिस एनकाउंटर मामले की जांच कर रहे जस्टिस एसके पांडे, सरकार से मानदेय के नाम पर सिर्फ एक रुपए लेंगे। जस्टिस पांडे ने खुद सरकार से इस व्यवस्था के लिए कहा था, जिसे मानते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं।
मालूम हो कि जांच आयोग का कार्यकाल समाप्त होने से ठीक एक दिन पहले जस्टिस पांडे ने कार्यालय की व्यवस्था सहित अन्य मुद्दों को लेकर इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। मुख्यमंत्री सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों की मान-मनौव्वल के बाद वे जांच करने के लिए सहमत हुए थे।