MP में RTE घोटाला: 1 करोड़ बच्चों के फर्जी एडमिशन, 4000 करोड़ का गोलमाल

भोपाल। प्राइवेट स्कूलों का एक बड़ा घोटाला सामने आया है। आरटीई यानी नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत गरीब एवं कमजोर आय वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त पढ़ाने का प्रावधान है। इसके तहत साल 2011 से प्रदेश के निजी स्कूलों में गरीब बच्चों का दाखिला कराया जा रहा है। इनकी फीस सरकार देती है। कई सारे प्राइवेट स्कूलों ने बच्चों से एडमिशन प्रक्रिया पूरी कराई, फिर सीट ना होने का बहाना बनाकर भगा दिया। इधर अपने रजिस्टर में एडमिशन दिखाकर सरकार से फीस वसूल ली। ये एक बड़ा घोटाला है। पकड़ा जा चुका है परंतु अब ना तो जांच हो रही है ना ही कार्रवाई। 

पत्रकार मनोज तिवारी की रिपोर्ट के अनुसार दो साल पहले राज्य शिक्षा केंद्र के एक कर्मचारी के दो बच्चों के नाम दो स्कूलों में सामने आए। भोपाल में राहिल और रेहाना लिबर्टी स्कूल में केजी-वन में पढ़ते थे। उनका नाम एमरिल स्कूल में भी दर्ज था। जांच हुई तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। तब स्कूल शिक्षा विभाग ने आरटीई के एडमिशन ऑनलाइन कराने का निर्णय लिया। नतीजा यह हुआ कि शैक्षणिक सत्र 2015-16 में 1.82 लाख बच्चों को दाखिला दिखाया गया था, इस साल 1 लाख एडमिशन ही रह गए। निष्कर्ष यह कि लगभग 82 हजार दाखिले फर्जी थे। यह केवल भोपाल का आंकड़ा है। प्रदेश के हर जिले में यही हाल है। 

अजीबोगरीब यह ​है कि इस घोटाले का खुलासा हो जाने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने अपनी व्यवस्था तो बदल ली लेकिन घोटाले की जांच नहीं की। 2011 से अब तक यदि एक जिले में 50 हजार भी फर्जी एडमिशन प्रतिवर्ष हैं तो 51 जिले और 5 साल में यह आंकड़ा बहुत बड़ा हो जाता है। शायद अब तक का सबसे बड़ा घोटाला। सरकार प्रति छात्र पहले 2600 रुपए देती थी अब 4209 रुपए देती है। एवरेज निकाल ले तो 5 साल में करीब 4000 करोड़ का घोटाला हुआ है। 

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