IITTM: MBA (Tourism) के नाम से फर्जी कोस चला रहा है, 1200 छात्र संकट में

भोपाल। मप्र के ग्वालियर में स्थित भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान MBA (Tourism) के नाम से बिना मान्यता वाले कोर्स का संचालन कर रहा है। आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार उसे यूजीसी से कोई अप्रूवल नहीं मिला है जबकि संस्थान अपने कैटलॉग में दावा कर रहा है कि वो यूजीसी अप्रूव्ड है। यहां इंदिरा गाँधी जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक से collaboration के नाम पर सारा खेल रचा जा रहा है जबकि कोर्स संचालित करने का अधिकार collaboration नहीं बल्कि AFFILIATION वाले कॉलेज को ही होता है। 

ग्वालियर निवासी मनोज प्रताप सिंह यादव ने भोपाल समाचार डॉट कॉम को तमाम दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए बताया कि भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान (IITTM) भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय का स्वायत्त संस्थान है। इसका मुख्यालय ग्वालियर में स्थित है। 6.6.2016 को संस्थान अपने सरनामा पर सरकारी मुहर के साथ छात्रों एवं बैंकों के लिए एक प्रमाणपत्र जारी करता है जो के संग्लंग्नक 1 के रूप में नत्थी है।

इसकी पहली लाइन में प्रमाणित किया गया है की- “Certified that the Indian Institute of Tourism and Travel Management offers UGC approved regular MBA (Tourism) 2016-18 programme of two years’ duration in collaboration with Indira Gandhi National Tribal University, Amarkantak (MP), Ministry of HRD, Govt. of India”.

इस पत्रक का उद्देश्य छात्रों को आकर्षित करना तथा बैंकों को विश्वास दिलाना था की यह कोर्स वैध है और इसके लिये छात्रों को loan दे दिया जाए। लेकिन RTI में UGC ने बताया है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान (IITTM) को MBA चलाने का कोई approval नहीं दिया। MBA (Tourism) नाम से कोई कोर्स चलाने का approval नहीं दिया; तथा भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान (IITTM) को इंदिरा गाँधी जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के साथ collaboration करने के लिए कोई approval नहीं दिया।

यहाँ यह भी बताना उचित रहेगा की किसी प्रकार का colloboration करके डिग्रियां देना UGC के प्रपत्र संख्या ऍफ़-27-1/2012 दिनाँक 27 जून 2013 के नियमों के विरुद्ध है। इस प्रपत्र के अनुसार केन्द्रीय विश्विद्यालय केवल तीन तरीको से ही कोर्स संचालित कर सकता है:- 

a.         विश्विद्यालय के स्वयं के विभाग से!
b.         विश्विद्यालय के घटक कॉलेज से..!
c.         विश्विद्यालय के सम्बद्ध कॉलेज से...!!

अत: यह स्पष्ट हो की भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान बिंदु क्रमांक 6 में वर्णित तीनों ही केटेगरी में से कही नहीं आता है, तथा यह एक स्वशासी संस्थान है, संस्थान की एग्जीक्यूटिव-कम-फाइनेंस कमेटी जिसकी अध्यक्षता देश के पर्यटन सचिव करते है, ने, दिनाँक 26.11.2014 को संस्थान को अपने PG कार्यक्रमों को किसी भी केन्द्रीय विश्विद्यालय से “संबद्धता” हासिल करने का निर्देश दिया, संस्थान के निदेशक ने “संबद्धता” की जगह कोलेबरेशन कर लिया। जो अपने आप में गैर क़ानूनी है सरकार के नियमों/आदेशों को धता बताना है। 

अतः यह स्पस्ट है की की जानते-बूझते छात्रों और उनके अभिवावकों को गुमराह किया गया। इसके अतरिक्त देश की कई बैंकों को धोखे में रखकर उनसे शिक्षा ऋण (Education Loan) दिलवाया गया। यह वितीय अपराध की श्रेणी में आता हैं। छात्रों को धोखे  में रखा, यह  अमानत में खयानत है।

अब प्रमाणित दस्तावेजों के आधार पर, आपको यह कहना उचित है की:-
a. छात्रों और अभिवावकों के साथ धोखाधड़ी, जालसाज़ी, छात्रों के भविष्य को दाँव पर लगाया गया। 
b. देश की बैंकों के साथ वितीय गोलमाल की जाँच का मुद्दा उठाया जाये और संस्थान के निदेशक श्रीमान संदीप कुलश्रेष्ठ के विरुद्ध अपराध निर्धारित कराने के तारतम्य में अनुशंसा की जाए। 

अधोहस्ताक्षरकर्ता

मनोज प्रताप सिंह यादव 
डी.एच - 86 सेक्टर  डी 
दीन  दयाल  नगर  ग्वालियर 
मध्य  प्रदेश  474005

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