मां को जेल भेजने के बाद बच्चों का क्या करती है सरकार: HC ने पूछा

MUMBAI | बाॅम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि मां के गिरफ्तार होने की स्थिति में सरकार उनके बच्चों की देखरेख व संरक्षण के लिए कौन से कदम उठाती है। हाईकोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह के भीतर इस संबंध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश मंजूला चिल्लूर व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने यह निर्देश एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। 

टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंस से जुड़ी प्रयास संस्था ने मां के जेल जाने की स्थिति में बच्चों की देखरेख को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है। जिसका हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका में परिवर्तित किया है। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि बाल न्याय कानून में भी मां के जेल जाने की स्थिति में बेसहारा बच्चों को रखने के लिए अलग से बुनियादी सुविधाओं से लैस बाल सुधारगृह (शेल्टर होम) बनाने का प्रावधान किया गया है।

कानून ने सरकार को ऐसे बच्चों को देखना अनिवार्य किया गया है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील हितेन वेणेगांवकर ने कहा कि इस मामले से सरकार के महिला व बालकल्याण विभाग के अलावा, समाज कल्याण ,गृह व स्वास्थ्य विभाग जुड़ा है। उन्हें हर विभाग से जरूरी जानकारी जुटानी पड़ेगी। वैसे सरकार ने इस मामले को लेकर कई कदम उठाए हैं।

पुलिस मैन्युअल में नहीं कोई प्रावधान
वहीं टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंस के प्रोफेसर विजय राघवन ने अदालत मेें बताया कि पुलिस मैन्युअल में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत महिला के गिरफ्तार होने की स्थिति में पुलिस को उसके बच्चे का इंतजाम करने को लेकर निर्देश दिया जाए। उन्होंने कहा कि हमने सरकार को इस संबंध में कई सुझाव दिए हैं। इस पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने सरकार को मामले को लेकर चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
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