भोपाल। आपने अक्सर देखा होगा, कई साधु जिंदा समाधि लेते हैं और फिर उससे सकुशल वापस निकल आते हैं। लोग इसे चमत्कार मानते हैं परंतु विज्ञान संचारक युवती सारिका घारू का दावा है कि वो ढोंग करते हैं। समाधि का अपना साइंस है। इसमें कोई चमत्कार नहीं है। यही प्रमाणित करने के लिए साचिका खुद 1 घंटे की जिंदा समाधि लेने जा रही थी लेकिन पुलिस ने आकर इस कार्यक्रम को रोक दिया।
रविवार को चिनार पार्क में विज्ञान संचारक सारिका घारू की ओर से भू-समाधि लेने की साहसिक वैज्ञानिक पहल की गई थी। सारिका आम लोगों में व्याप्त पाखंड और अंधविश्वास को दूर करना चाहती थी। लोगों में वैज्ञानिक जागरूकता लाने के लिए वे 1 घंटे की भूमिगत समाधि लेने वाली थी, लेकिन मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। उनकी योजना थी कि वे 5 फीट गहरे गड्ढे में एक घंटे के लिए भूमिगत समाधि का प्रत्यक्ष प्रदर्शन करती।
ढोंग करते हैं साधु-बाबा
सारिका ने समाधि में सुरक्षित बने रहने के वैज्ञानिक कारणों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को जीवित रहने के लिए एक घंटे में 5 घनफुट ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इसी तरह 24 घंटे के लिए उसे 120 घनफुट ऑक्सीजन की जरूरत होती है। समाधि लेने की घोषणा करने वाले साधु-बाबा अपनी जरूरत के हिसाब से लंबा और गहरा गड्ढा खोद लेते हैं और समाधि लेने का ढोंग करते हैं। लोग उनके ढोंग पर भरोसा कर उन्हें भगवान समझने लगते हैं जो कि गलत है।
वैज्ञानिक सोच जागरूक करने के लिए किया गया था कार्यक्रम
सारिका ने जो गड्ढ़ा खोद रखा था वह लगभग 50 घनफुट आकार का था। इसमें 10 घंटे तक आसानी से सुरक्षित रहा जा सकता था। सारिका द्वारा जनसामान्य विशेषकर किशोरियों में वैज्ञानिक सोच एवं जागरूकता की आवश्यकता को ध्यान में रखकर यह कार्यक्रम किया गया था। गौरतलब है कि सारिका कई वर्षों से आम लोगों में वैज्ञानिक जागरूकता लाने के लिए अलग-अलग जगहों पर इस तरह के कई कार्यक्रम कर चुकी हैं। सारिका इससे पहले भी आदिवासी अंचलों में समाधि प्रदर्शन का कार्यक्रम कर चुकी हैं।