
न्यायमूर्ति एसके गंगेले व जस्टिस अनुराग कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान अवमानना याचिकाकर्ता महेश बुंदेले का पक्ष अधिवक्ता श्रीमती सुधा गौतम ने रखा। उन्होंने दलील दी कि हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश के बावजूद पूर्व अंशकालीन शिक्षक को प्रयोगशाला सहायक के पद पर नियुक्ति प्रदान नहीं की गई है। इस वजह से बेरोजगारी की दशा में परिवार का भरण-पोषण मुश्किल हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट से हारी सरकार
बहस के दौरान अवगत कराया गया कि इस मामले में राज्य शासन को सुप्रीम कोर्ट से मुंह की खानी पड़ी है। ऐसा इसलिए क्योंकि एकलपीठ और युगलपीठ से याचिकाकर्ता के हक में राहतकारी आदेश जारी होने के बाद राज्य शासन ने बजाए पालन सुनिश्चित करने के सुप्रीम कोर्ट में आदेश को चुनौती दे दी थी, लेकिन वहां से हाईकोर्ट का आदेश यथावत रखते हुए राज्य की अपील खारिज कर दी गई। इसीलिए अवमानना याचिका के जरिए हाईकोर्ट की शरण ली गई है।